Book Title: Yogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Suvratmuni Shastri
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 344
________________ शुद्धिपत्र पृ० पैरा पङ्कित फुट नोट अशुद्ध संख्या । । । । । । । । जोगवउवहाणं रमा की उसक वैदिकतर अनुरुद्धाचार्य धर्माविनिश्च उमके आगमत्तोर आगमों योग एक मत विशेष आर पणर्ग जानित याजकों जोगव उवणाहवं रमा को उसके वैदिकोत्तर अनिरुद्धाचार्ष धर्मविनिश्य उसके आगमोत्तर आगम 7 1 16 1 2 163 2 17 2 - 19 2 10 23 3 22 25 2 14 27 3 27.3 14 41 41 2 12 44 2 15 49 - 1 - 49 4 27 ~~ 54 4 - - - 59 26 - 68 13 68 2 10 78 1 3 - 81 (ङ) १ 84 - - 86 - 12 91 1 1 102 - 10 111 - 21 143 - - 2 योग एक पन्त्र विशेष और पणगं जागृत याचकों जैसे हरिभद्र सूरि परमतावलम्बियों भारतीय जसे । । । । । । । । । । - । । । । हरिभद्रसरि परमातावलंबियों भारताय विस्तार गुविलि विस्तर नवानतम (20) योग बिन्दु अनगामीचित्त मेरो भावना गुर्वावलि (6) नवीनतम (30) योग बिन्दु अनागामीचित्त मेरी भावना Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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