Book Title: Yogabindu ke Pariprekshya me Yog Sadhna ka Samikshatmak Adhyayana
Author(s): Suvratmuni Shastri
Publisher: Aatm Gyanpith
View full book text ________________
284
योगबिन्दु के परिप्रेक्ष्य में जैन योग साधना का समीक्षात्मक अध्ययन
१२२. योगवाशिष्ठ, वासुदेव लक्ष्मण शास्त्री, तुकाराम जावजी,
द्वितीय आवृत्ति बम्बई, सन् १९१८ १२३. योगशास्त्र, हेमचन्द्र, सन्मत्ति ज्ञान पीठ, आगरा, १९६३ १२४. योगावतार, द्वात्रिशिका, उपाध्याय यशोविजय १२५. योगमार, योगिन्दुदेव, परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई, १९३७ १२६. रत्नकाण्ड श्रावकाचार, समंतभद्र प्रका० माणिकचन्द दिगम्बर
जैन, ग्रंथ माला, बम्बई, वी० सं० २५५१ १२७. ललितविस्तर, (नववैपुल्य), सम्पा० पी० एल० वैद्य, दरभंगा
१९६० १२८. लाटीसंहिता, राजमल्ल, सम्पा० दरबारीलाल, माणिकचन्द,
दिगम्बर जैन ग्रंथमाला, वी० सं० १९८५ १२६. लेश्याकोश, मोहनलाल बांठिया, चौरडिया डावरलेन, कलकत्ता,
१३०. वाशिष्ठ, स्मृति, सम्पा० श्रीराम शर्मा, संस्कृति संस्थान, बरेली,
१३४.
१३१. विवेक चूडामणि, शंकराचार्य, अद्वैत आश्रम, अलमोड़ा, १९६६ १३२. विशुद्धमार्ग, (विसुद्धिमग्ग का हिन्दी अनुवाद) भाग-२, अनु.
भिक्षु धर्म रहित, महाबोधि सभा, सारनाथ, १६५६ १३३. विंशतिविंशका, हरिभद्रसूरि, सम्पा० डा० अभ्यंकर आर्यभूषण
मुद्रणालय कौशाम्बी पूना, १९३२
विशुद्धिमग्ग, सम्पा. धर्मानन्द कौशाम्बी, बम्बई, १६४० १३५.
विष्णुपुराण, अनु० मुनिलाल गुप्त, गीता प्रैस, गोरखपुर १३६. वैशेषिक दर्शन, कणाद, सम्पा० शंकर दत्तशर्मा, मुरादाबाद,
१६२५ १३७. बृहदकल्पभाष्य, अमोलक ऋषि, हैदराबाद, सिकन्दराबाद जैन
संघ, वी० नि० सं० २४४६ १३८. बृहदारण्यक, प्रका० पाण्डरंग जावजी, बश्बई, १९३२ १३६. शान्तसुधारस, अनु० मनसुख भाई. फी० मेहता, भगवान दास
मेहता, भावनागर. वी० सं० २४६२ १४०. श्वेताश्वतरोपनिषद्, पाण्डुरंग जावजी, बम्बई. १६३२ १४१. श्रीहरिभद्रसूरि, हीलालाल रसिकलाल, बड़ोदरा, १६६३ १४२. षट्खण्डागम, खण्ड-४, सम्पा० डा० एच० एल० अमरावती,
१६४६
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348