Book Title: World Jain Conference 1995 6th Conference
Author(s): Satish Jain
Publisher: Ahimsa International

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Page 10
________________ मंगल सन्देश अहिंसा प्राणिमात्र की आध्यात्मिक चेतना का उदात्तरूप है । संगठन, सौहार्द एवं विकास के लिए अहिंसक वातावरण का होना अपरिहार्य है । ॠग्वेद में इसीलिए ऋषियों ने भावना भाई है कि 'हे ईश्वर ! मुझे अहिंसक मित्र का समागम मिले।' इस अहिंसा की पवित्र भावना का महत्त्व सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक है । Jain Education International प्रसन्नता है कि 'अहिंसा इण्टरनेशनल' इसके व्यापक प्रचार प्रसार के लिए प्रयत्नशील है । लक्ष्य के अनुरूप इसके अभ्युत्थान एवं विकास के लिए मेरा शुभाशीर्वाद है । For Private & Personal Use Only - आचार्य विद्यानन्द मुनि www.jainelibrary.org

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