Book Title: Vyavaharasutram evam Bruhatkalpsutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 521
________________ ॥ तइओ उद्देसो॥ नो कप्पइ निग्गथाणं निग्गंथीणं उवस्सयंसि चिट्ठित्तए का निसीइत्तए वा तुयटित्तए वा निदाइत्तए वा पयलाइत्तए वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारं आहरित्तए, वा उच्चारं वा पासवणं वा खेलं वा सिंघाणं वा परिद्ववित्तए, सज्झायं वा करित्तए, झाणं वा झाइत्तए काउस्सग्गं वा करित्तए, ठाणं वा ठाइत्तए ॥१॥ नो कप्पइ निग्गंथीणं निग्गंथउवस्सयंसि चिट्ठित्तए वा जाव काउस्सग्गं वा करित्तए ठाणं वा ठाइत्तए ॥२॥ नो कप्पइ निग्गंथीणं सलोमाई चम्माइं अहिछित्तए ॥३॥ कप्पइ निग्गंथाणं सलोमाई चम्माई अहिहित्तए, सेवि य परिभुत्ते नो चेव णं अपरिभुत्ते, सेवि य पाडिहारिए नो चेव णं अपाडिहारिए, सेवि य एगराइए नो चेव णं अणेगराइए ॥४॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा कसिणाई चम्माई धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥५॥ कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अकसिणाई चम्माइं धारित्तए वा परिहरितए वा ॥६॥ _ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गथीण वा कसिणाई वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा । कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अकसिणाई वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥७॥ नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अभिन्नाई वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥८॥ · कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंधीण वा भिन्नाई वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तए वा॥ नो कप्पइ निग्गंथाणं उग्गहणंतगं वा उग्गइपट्टगं वा धारित्तए वा परिहरित्तए वा ।। ___कप्पइ निग्गंधीणं उग्गहणतगं वा उग्गहपट्टगं वा धारित्तए वा परिहरित्तए वा ॥११॥ . निग्गंथीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविटाए चेलटे समुप्पज्जेज्जा, नो से कप्पइ अप्पणो नीसाए चेलं पडिग्गाहित्तए, कप्पइ से पवत्तिणोणीसाए चेल पडिग्गाहित्तए । नो य से पवित्तिणी सामाणा सिया जे से तत्थ सामाणे आयरिए

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