Book Title: Vivek Vilas Author(s): Shreekrushna Publisher: Aaryavart Sanskruti Samsthan View full book textPage 2
________________ श्रीमद् जिनदत्तसूरि विरचित 'विवेकविलास' में सर्वोपयोगी, सार्वभौम सिद्धान्तों को महत्व दिया है। विवेकविलास बहुपयोगी ग्रन्थ है। इसमें 12 उल्लासों में कुछ 1327 श्लोक हैं। अनुष्टुप श्लोकों के अतिरिक्त उपसंहार के रूप में उपजाति व अन्य छन्दों का प्रयोग हुआ है। इसमें दिवस के विविध प्रहरों में करने योग्य श्रावकाचार का वर्णन हैं किन्तु स्वप्नविचार, शुद्धि-शौचाचार, प्रश्न व स्वर-नाड़ी विचार, ज्योतिष, सामुद्रिक, देवमन्दिर निर्माण, प्रतिमा लक्षण, जीर्णोद्धार, वास्तु कार्य के लिए भूमि परीक्षा, स्वामी-सेवक लक्षण, उद्यम प्रशंसा, भोजन विधि, सन्ध्याकाल विचार, शयन विधि, घटीयन्त्र, विष परीक्षा, विवाहावसर पर वर वधू लक्षण, ग्रीष्मादि षड् ऋतु वर्णन, वर्षचर्या, श्राद्ध, वास्तु और शुद्ध गृहकर्म, गृहार्थ योग्यायोग्य वृक्ष व उनके फल, शिष्यावबोध व कलाचार्य व्यवहार, सर्पदंश के सम्बन्ध में विष के परिणाम पर वार, नक्षत्र, राशि, दिशा, दूतानुसार विचार, रत्न, षड्दर्शन परिचय, देखने के योग्यायोग्य वस्तुएँ, परदेश गमन के नियम, मन्त्रणा विचार, जाति क्लेश व उसके परिणाम तथा एकात्म रहने के फल, संक्षेप में धर्मोपदेश, ध्यान-समाधि, ब्रह्मचर्य, आत्मा-जीव, तत्त्व, चार्वाकों के मतों की खण्डना, अन्तकाल में देह त्याग, समाधिमरण आदि प्रभूत वर्णन हुआ है। प्रशस्ति में वायडगच्छ एवं समकालीन नरेशादि, उपदेशश्रवणकर्ता का नामोल्लेख किया गया है। प्रत्येक उल्लास के अन्त में उपसंहार और उल्लास के विषयों की जीवन में उपयोगिता, अनुकरणीय निर्देश इस ग्रन्थ की अन्यान्य विशेषता है। शेष अगले फ्लैप पर...Page Navigation
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