Book Title: Vitrag Stotram
Author(s): Hemchandracharya, Chandraprabhsagar
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 15
________________ श्रेष्ठि-देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धारे ग्रन्थाङ्कः-प्रथमे (१) प्रथमसंस्करणे श्रीमद्-आनन्दसागरसूरीश्वरेण गुम्फितम्श्रीवीतरागस्तोत्रस्योपक्रमः॥ सकलैहिकामुष्मिकहितकृद्धितकारकपुन्नागनिर्मितास्तोकश्लोकास्पदातीन्द्रियेतरपदार्थसार्थस्वरूपाविर्भावकलोकोत्तरीयग्रन्थतत्यवधारणपीनबुद्धिप्रारभाराणाम् सकर्णानां नासमाकर्णितमेतद्यदुत यस्य कस्यापि मतस्य सौष्ठव मितरञ्च तदीयागमस्तोमावगमेनैवागम्यते, तत एव यतोऽभिमन्तव्यपदार्थानां तथ्येतरत्वविचारणासरण्यवतारोऽत ‘एव चावाप्ताखिललोकालोकगताशेषपदार्थसार्थावलोकनप्रत्यलसमस्तज्ञानावरणीयसमूलकाषंकषणप्रभवप्रभूतप्रभुतास्पदकेवला अपि श्रीमदकलकाराध्यपादाः श्रीसर्वज्ञाः प्रकटयामासुः प्रकटप्रभावात्यस्तमितकुमततातनुकर्मप्रवेकविस्तारकप्रवादः, श्रीमद्गणधरैरुदयप्रक्षिप्तगणभृत्कर्मभिज्ञानचतुष्टयपीयूषपूरान्तःकरणैरुप्पन्नेइवा विगमेइवा धुवेइवेत्यनन्यसाधारणनिश्शेषवस्तुबजावस्थिताबाध्यधर्मदर्शनपटीयोवचत्रि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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