Book Title: Vitrag Mahadev Stotra Author(s): Hemchandracharya, Publisher: Jain Atmanand SabhaPage 98
________________ ब्रह्माने चार मुख छे, महेश्वरने त्रण नेत्र छे अने । विष्णुने चार भुजा छे, तो तेमनी एक मूर्ति केम संभवे? २८. मथुरायां जातो ब्रह्मा, राजगृहे महेश्वरः । द्वारामत्यामभूद् विष्णुरेकमूर्तिः कथं भवेत् ॥ २९ ॥ ब्रह्मानो मथुरा नगरीमा जन्म थयो, राजगृहमा महेश्वरको जन्म थयो अने विष्णुनो जन्म द्वारकामां थयो, तो तेमनी एक मूर्ति केम संभवे ? २९. हंसयानो भवेद् ब्रह्मा, वृषयानो महेश्वरः। गरुडयानो भवेद् विष्णुरेकमूर्तिः कथं भवेत् ? ॥ ३० ॥ ब्रह्मानुं वाहन हस छे, महेश्वरनुं वाहन वृषभ छे अने विष्णुर्नु वाहन गरड छे, तो तेमनी एक मूत्ति केम संभवे ? ३०. पद्महस्तो भवेद् ब्रह्मा, शूलपाणिमहेश्वरः । चक्रपाणिर्भवेद् विष्णुरेकमूर्तिः कथं भवेत् ? ॥ ३१ ॥ के अने विष्णुना हाथ ब्रह्माना हाथमां पद्म छे, महेश्वरना हाथमा त्रिशुल के अने विष्णुना हाथमां चक्र के, तो तेमनी एक मूर्ति केम संभवे ? ३१. Jain Education International Private & Personal Use Onlwww.jainelibrary.orgPage Navigation
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