Book Title: Vitrag Mahadev Stotra
Author(s): Hemchandracharya,
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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श्री बृहतकल्पसूत्रम् मुनिओना धार्मिक आचारो अने रीतरिवाजो शुं छे ? शा कारणथी योजाया ? द्रव्य, क्षेत्र, काळ, भाव बदलाता दीर्घदर्शी साधु महाराजोए तेमां केवु परिवर्तन करेल छ ? छेदसूत्र माटे जैन समाजनी शुं मान्यता छे ? वगेरे घणी उपयोगी बाबतो आ ग्रंथमां आवेल छे. पुस्तकना आरंभमां विद्वान मुनिराज श्री पुण्यविजयजी महाराजे प्रस्तावना विस्तारथी आपी ग्रंथनी गंभीरता सचोट रीते समजावी छे. निर्णयसागर प्रेसमां छापी सुंदर बाइंडींगथी ग्रंथने शोभाववामां आवेल छे. छतां मूल्य रु. ४-०-० मात्र. लखो--श्रीजैन श्रात्मानंद सभा
भावनगर.
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