Book Title: Vitrag Mahadev Stotra
Author(s): Hemchandracharya, 
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 103
________________ श्रीकर्मग्रंथ (४) मूळ छेल्लामां छेल्ली ढबे तैयार करेल श्री देवेन्द्रसूरिकृत स्वोपज्ञ टीकायुक्त बे प्राचीन ताडपत्रीओ अने त्रण प्राचीन हस्तलेखीत प्रतो उपरथी, मुनि महाराज श्रीचतुरविजयजी तथा तेमना विद्वान् शिष्य मुनि महाराज श्रीपुण्यविजयजी महाराजे काळजीपूर्वक संशोधन करी आ ग्रंथ महामहेनते तैयार कर्यो छे एटले अगाउ प्रकट थयेल आवृत्तिनी अशुद्धिओ आमां रहेवा पामी नथी. कर्मग्रंथना अभ्यासीओ माटे आ ग्रंथ अति उत्तम ग्रंथ मनाय छे. मळेल मदद थएल खर्चमांथी बाद करता ओछी किंमते ज आ ग्रंथ वेचवामां आवे छे. एटले मूल्य मात्र रु. २-०-० ज राखेल छे. मात्र नामनी ज नकलो सीलीकमां छे. लखो-श्रीजैन अात्मानंद सभा-भावनगर. Jain Education Internatiohiat Private & Personal Use Onlyww.jainelibrary.org

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