Book Title: Vigay Nivayata Vivaran Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ सप्टेम्बर २०१० मनविकारकारक सदा, दुर्गति दैन' निदान, कारन ये जिनराजनें, कही विगय दश जान ॥ अथ १० विगय नाम ॥ प्रथम दूध दूजी दही', तीजी घीयवखान, तुर्य तेल गुड५ पंचमी, छठ्ठी जाण पकवान मधु सातमी आठमी सुरा", नवमी मांस कहंत, दसमी मांखण१० जाणियो, ए विगइ दश हुंत प्रथम विगइ छ भक्ष है, अभक्ष अंतकी चार, इस प्रकार इनकुं कही, महाविगइ दुखदार भेद पांच है दूधके, गाय-भैसका ठानरे, उंठ(ट)णि छेली भेडका', दूध पंच ए जांण दही भेद फुनर्प च्यार है, भेंस गायका मान, बकरी भेडीका सही, ए दधि च्यार सुजांण भेद च्यार घीके सुनौ, गो महिषीका धार, छेरी भेडीका कहा, घृत ए च्यार प्रकार होय न दधि-घत उंटणी-पयसें ए निरधार, कारन दधि-घृत च्यार है, जाणौ एह विचार तेल भेद पिण च्यार है, तिल सरसुं अलसीय, करड तेल चोथो गिणो, अवर विगय नहि कीय जान भेद गुडके सुगुन ! पतला काठा१० दोय भेद दोय पकवानके, घीय तेलका होय भक्ष विगयके भेद ए, जिन आगम विसतार, अभक्ष विगयके भेद अब, सुणो भविका दो छार.११ । त्रिविध मधु शास्त्रै कही, मरकी१२(मक्खी?) भमरी सोय, तीजी कुतरिक'३ जानियो, सहित भेद ए जोय मदिरा भेद फुन दोय है, काष्टादिककी१४ जान, दूजी पिष्टोद्भव१५ कही, जांणो मदिरा मांन मांस भेद ए तीन सुण, जल-थल-खचर हिआन१६, मच्छ हिरन चटिका कही, अनुक्रम एह पिछानPage Navigation
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