Book Title: Vigay Nivayata Vivaran Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ ६८ अनुसन्धान ५२ ॥ अथ गुडके ५ निवायते ॥ अर्द्धपक्वै जो इक्षुरस, रबडी रूप निहाल, तेहनें कहियै इक्षुरस, मधुर विगयकी चाल दूजौ गुलवाणी३३ कह्यौ, त्रीजौ साकर सिद्ध, निवायतौ मीठै तणों, चौथौ खांड प्रसिद्ध हरकिणहीकै उपरै, पात३४ लपैटै जेह, । तेहने कहिये पाकगुल, खुरमां द्रष्टांते तेह ॥ अथ पकवानके ५ निवायते लिख्यते ॥ घृतमें तिलमें नीकल्यो, विगय आदिकौ घाण, दूजो घाण निवायतौ, कडाविगयकौ३५ जांण तीन घाण निकल्या पछै, जो हुवै पकवान, दूजौ नाम निवायतौ कह्यौ शास्त्र अनुमान तीजौ गुलधाणी प्रमुख, निवायतौ ज हजूर, जलसेकी लपसी चउथ, करै भूख चकचूर लेस रह्यौ धीमें करें, पुवा चीलडा सोय, पंचम ए पकवानको, पुवा नाम है जोय ॥ चौपाई ॥ दूध दही चावल ऊपरा, अंगुल एक जु देखो खरा, सो जाणो भवि निवियायतौ, अधिको होय तो विगयायतौ ४७ जैसें सीरो वलि लापसी, अंगुल घी तिरतो देखसी, तेतौ लहो निवियात ज्ञान, दो चउ अंगुल विगयां ठान ४८ खुरमा पर अंगुल इक पात, चढे तांहि निवियाते खात, इक अंगुल से अधिकी होय, विगयमांहि गिणिये तब सोय ४९ विगयादिनौ कहयौ अधिकार, पच्चक्खाणभाष्यथी सार, सुगम अरथ भाखामें खरौ, होय विरुद्ध पंडित शुध करौ ५० संवत ऋषि वसु सिद्धि शशि', मिगसर मास सुमास, पूर्ण हुवै पूनिम दिने, दिल्ली नगर निवासPage Navigation
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