Book Title: Vakya Rachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya, Shreechand Muni, Vimal Kuni
Publisher: Jain Vishva Bharti

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Page 12
________________ ग्यारह प्रकाशक शब्द का स्वरूप विश्लेषण करना पडता है। तीसरा विभाजन है वाक्यरीति-किसी भी भाषा में वाक्य रचना कैसे की जाती है, इसका स्वरूप विश्लेषण किया जाता है । कर्ता, कर्म, क्रिया का सम्यक् संयोजन करने के सन्दर्भ में व्यवस्थित चर्चा की जाती है । चतुर्थ विभाजन में शब्दार्थतत्त्व यानी शब्द के अर्थ का स्वरूप विश्लेषण होता है। इस प्रकार चार विभाजन व्याकरण में रहते हैं। परन्तु हर भाषा के लिए विभाजन का अनुसरण करना जरूरी नहीं होता। सिर्फ व्याकरणकर्ता के लिए यह ध्यान रखना जरूरी है कि विद्यार्थी वर्ग को भाषा-ज्ञान सीखाते समय कौन-सा विषय अधिक जरूरी है। प्रस्तुत ग्रन्थ 'वाक्यरचना बोध' इसी ढंग से लिखा गया है। एक सामान्य बुद्धि वाले विद्यार्थी के लिए भी यह ग्रन्थ व्याकरण और भाषातत्त्व का ज्ञान आसानी से कराने में उपयोगी सिद्ध होगा। ग्रन्थ का वैशिष्टय इस बात में निहित है कि अक्षर वर्ण से शुरू होकर व्याकरण सम्बन्धी सभी विषयों को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है । पाठांशों का क्रम भी सीखने की दृष्टि से व्यवस्थित है। वाक्य के विश्लेषण बिना भाषा सीखी नहीं जा सकती, इसलिए वर्णविश्लेषण के बाद वाक्यरीति का क्रम रखा है। वाक्य प्रयोग में विभक्ति आवश्यक है, इसलिए वाक्य के बाद विभक्ति प्रकरण का उल्लेख है। क्रिया के बिना वाक्य पूरा नहीं बनता, अतः क्रिया के विषय में ज्ञान कराया गया है। इसी तरह यथाक्रम से काल, वाच्य, लिंग, संख्यावाची शब्द, स्त्री प्रत्यय, कारक, समास, शतृ-शानच्, उपसर्ग, तद्धित, णिजन्त, सन्नन्त, यङप्रत्यय आदि सभी का विश्लेषण व्याख्यायित है। सम्पूर्ण ग्रन्थ की रचना, उसमें किए गए विभाजित पाठ, अभ्यासअनुशीलन विद्यार्थी वर्ग के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे, ऐसी आशंसा करता हूं। मैं चाहता हूं कि इस ग्रन्थ का प्रचार-प्रसार भी अधिक से अधिक किया जाए। श्री सत्यरंजन वन्द्योपाध्याय अध्यापक, कलकत्ता विश्व विद्यालय भाषातत्त्व विभाग २६-१०-८९

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