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श्री वैराग्य शतक तेनो तुं आजने आज विचार कर.
सो वर्ष पहेलाना अहिं कोई देखाता नथी. जातस्य ध्रुवं मृत्युं तो ते कयां गया, शुं लई गया. केवी दशामां गयां. तेओना शरीरनुं शुं थयुं, तेमनी साथे कोण गयुं, तेओनी मालमिल्कतनी शी दशा थइ, तेमना नाम निशान पण क्यां गयां. ते तरफ तुं दृष्टि कर. तो क्षण पछी तारे शुं थशे तेनी तने खबर नथी. पचास सो वर्ष थतां तारे पण जवू पडशे.
'God's mill grinds slow but sure.
- तो तुं कयां जईश. निर्दोषने त्रास आपी. असत्योनी जाळो बीछावी, विश्वासुओने ठगीने अन्याय अने प्रपंचोथी मेळवेली सामग्रीमांथी साथे शुं लई जईश. त्यां तारूं शुं थशे, व्याधि के मरण वखते अहिं पण कोई तने शरण आपी शके तेम नथी तो परलोकमां ए क्यां अने तुं कयां? ज्यां भेगा मळवापणु पण नथी तो तारी दुर्दशामां भागीदार कोण थशे तेनो तुं आजने आज विचार कर. पौद्गलिक (धन अने विषय) सामग्री गमे तेटली मळी जाय, जेम रंक राजा बनी जाय तो पण तेने संतोष थतो नथी अने अधिक अधिक धन माटे महा पापो करी लोमान्धो नैव पश्यति दुर्दशा भोगवे छे तेमज विपुल भोगो मळवा छतां शांति नहि पामतो