Book Title: Vairagya Shatak
Author(s): Amrutsuri, Dhurandharvijay, Kundakundvijay Gani
Publisher: Dhurandharsuri Samadhi Mandir

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Page 172
________________ संपादक तथा प्रेरक : पं. कुन्दकुन्द विजय गणि छरी पालित तीर्थ यात्रानो प्रभाव छन्द-उपेन्द्रवज्रा छरी पालता तीर्थ यात्रा करे जे खपे कर्मना पुंज तेना तरे ते वधे तीर्थ शोभा जिनाज्ञा पळाये / _टले पाप बुद्धि सुबुद्धि सदाये // 1 // छन्द-इन्द्रवज्रा मार्गे जता वृक्ष अनेक आवे छाया ग्रहीने सहु शान्ति पावे गेहे जता जे तरु याद आवे ते वृक्ष माहे अधिको कहावे // 2 // छन्द-उपेन्द्रवज्रा जगे जेहनो ब्रह्मचर्य प्रभाव तपागच्छ राजा रवीन्दु स्वभाव सदा तीर्थ उद्धार कारी विरागी नमु नेमि सूरि प्रभाते सुभागी // 3 // शाह नथमलजी प्रतापजी तोगानी परिवार गुडाबालोतान् ना सौजन्यथी

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