Book Title: Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Bhavvijay Gani
Publisher: Divya Darshan Trust
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उत्तराध्ययन
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जे यानि दोनं समुषे जे यावि दोर्स समुह सिर्फ
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जे यात्रि होइ निविजे जे सक्खणं च सुमिर्ण च
जे समस्था समुत्तुं
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३१-७७ .... ३२ - ९०
११-२
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जे संखया तुच्छ परप्पवाई.. जेसिं तु विलासिक्ला जोअणस्स उ जो तस्स ण तुमं जाणे अणाहस्स स्थि नूर्ण परे लोए ण परलओ ण पुरओ ण मे णिवारणं अस्थि ण लविज्ज पुढो सावजं वासभिजा निडर्ण सहाय ण संतसेण पारिजा जाइ उच्चे व णीप वा णाइदूरमणासणे गाणं च दंसणं चैव णामाई पण्णरसगंध रिठ्ठगंमि विरओ णेव पहस्थि कुजा ...e णो रक्खसीसु गिसिया तत्ताई तंबलोहाई ततो अवग्गदग्गो व ततो विउट्टित्ता तत्थ आवर्ण नाणे तत्थ डिचा जहाठाणं तत्थ पचविहं नाणं तत्थ सिद्धा महाभागा तत्थ से चिमाणस्स तस्थ सो पासई साई तत्थिमं पढमं ठाणं तत्थोवाइअं ठाणं तमंत मेणेव उं से असीले सम्मेव य नक्सचे तम्दा एसि कम्मार्ण
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२- ११
१- ३४ १-१३ .... २८-२
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३२ - २५ | जो अधिकायधम्मं १२-१८ जो जस्स उ आहारो १२-५१ जो जिणदिडे भावे १२-६४ जो न सज्ज आगंतु
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८-१३
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२५-८
२५- १२
२५- १५ ४ - १३
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३२५
411
५-४
५- १३ २०-४६ २६- २० .... ३३ - २५
....
३६ - ६३ २- २१ २०-४
जो सुत्तमहिज्जतो
जो सो इत्तरिअतयो
३४-२
तओ पुडो आर्यकेण २-४२ तो पुट्टो पिपासाप १- ११ तभी बणि वासाणि ८-१५ तओ से जायंति पओअणाई १९- १८ | तम्हा एभाण लेसाणं २०-११ तम्हा विषयमेसिजा ८- १५ तम्हा सुयमहिडिजा वरुणो सि भजो पच .... २४-५
२५-२०
जो पचइत्ता ण महवयाई २०-३९ जो लक्खणं सुविण पजमाणे
२०-४५ २५- १९
१७- २१
जो लोए बंभणो कुत्तो जो वज्जए एए सया उ जो सहस्सं सहस्ताणं मासे जो सहस्सं सहस्वार्ण संगामे
तयार पोरिसीए
तम आउपरिक्षिणे
तओ कम्मगुरू जंतु तओ कल्ले पभायम्मि तओ काले अभिप्पेट तओ केसिं बुर्वतं तु तओ जिए सई होइ तम तेजिए दधे
२- १६ सवनारायजुसेण
२८-४
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७-२१
जं किंचि आहारपाणजायं
१६-६२ च मे पुच्छसी काले २०१६ | जो सकिअमिच्छाई न पू
२-४४
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१-१८
2-19
१- २५
.... २८- १८
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तस्सक्लेवपमुक्लं च तस्स पाए व वंदिता तस्स भजा दुबे आखि तस्स भज्जा सिवा नाम
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तवो जोई जीवो जोइठाणं तवो अ दुविहो तवोवहाणमादाय तसाणं थावराणं च तसे पाणे विआणित्ता
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२८-२७ | जं नेइ जया रि २०- १५ मे बुद्धाणुमाति जं विवित्तमणाहणं
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९-४०
९ - २४
२८-२१
३०-१०
१५ - १२
१८- ३२
१५-५
२६-१२ ७- १०
७-९ २० - ३४
५- ३१ २३ - २५ ७ - १८ १०-११
३५-९
२५-२२
२५- १३
२०-७
२२-२
२२-४
ठाणा वीरासणाईआ
ठाणे अ इइ के इसे ठाणे निसीअणे वेव ठिई खयरार्ण
UT.
ण इमं सधेसु भिक्खुसु
ण कोवए आयरिय ण चित्ता तायए भासा
चा उप्पइअं तुक्ख
| णच्चा णमइ मेहावी
| तओ से दंड समारभइ
सभी से पुढे परिपूढे तभी से मरणमि
तओ सो पहसिओ राया
तओ संवच्छरजं तु तओ हं एवमाहंसु
ठ.
तओ हं नाहो जाओ तण्हा किलंतो धावतो
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..... १६-१
तहेव भचपाणेसु
| तहेव विजओ राया तद्देव हिंसं अलिअं उद्देग्गं तवं किसा
.... ५०-२७
२३-८२
२४-२४
३६-१९२
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१५-११
२०४
१६-२४८ ३२-१०५ / २४-११ | तस्स मे अप्पडिकंतस्स १-७ तस्स रूववई भजं ११-१२ तस्स रूवं तु पासिचा २०-८ तस्य लोगप्प ईयस्स ९-२२
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२२-४४ तरसेस मग्गो गुरुविद्धसेवा २८- २४ २-४३
तहा पयणुबाई य तहिभाणं तु भावाणं तहिअं गन्धोदयपुरफवासं
तव कासोराया
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2400
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0000 70-34
०.०० १९-५९ तहाभिभूयस्स अवचहारिणो१२-१०
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2040
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२१-१९ १-२७
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५- १९
१-४०
६-११
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२-३४
१-४५
५-८
७-२
५-१६
२०-१०
३६-२५२ २०-३१
१२-४३ १२-५६
३२-१९
२२-८२
३२-१५
१३-२९ २१-७
२०-५
२३-२
२३-६
१२-१
२४--३०
२८-१५
१२-३६
१८-४९
....
३५-१० .... १८-५० ३५-३ १८-५१

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