Book Title: Upmiti Bhav Prapanch Katha Part 02
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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुर्थः प्रस्तावः। 56 तत्कर्मपरिणामेन भटभुत्यास्य योजितम् // अतः पुरदये तत्र सैन्यमस्य सुभक्निकम् / तथाटव्यां च निःशेषमास्ते विग्रहतत्परम् // प्रकर्षः प्राह मामेदमनयोः किं क्रमागतम् / राज्यं किं वान्यसम्बन्धि ग्टहीतं बलवत्तया // विमर्शनोदितं वत्स नानयोः क्रमपूर्वकम् / / परमत्कमिदं राज्यं हठादाभ्यां विनिर्जितम् // यतः / जौवः सकर्मको यस्ते बहिरङ्गजनस्तथा / संसारिणीव इत्येवं मया पूर्व निवेदितः // तस्यैषा भुज्यते सर्वा चित्तवृत्तिर्महाटवी / वौर्यण तं बहिष्कृत्य स्खौछताभ्यां न संशयः // प्रकर्षणोकम् / कियान् कालो रहौताया वर्तते माम में वद / विमर्शः प्राह नैवादिं जानेऽहमपि तत्त्वतः // तदेष परमार्थस्ते कथ्यते वत्म माम्पतम् / निःशेषः प्रलयं याति येन तावकसंशयः // म कर्मपरिणामाख्यो दानोदालनतत्परः / प्रणताशेषसामन्तकिरौटकुरितक्रमः // प्रभावमात्रसंमिद्धकार्यविस्तारसुस्थितः / राजाधिराजः सर्वत्र निविष्टो विष्टराधिपः // अयं पुनर्महामोहस्तमैन्यपरिपालकः / For Private and Personal Use Only

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