Book Title: Updeshratnakar
Author(s): Munisundarsuri, Munisundarsuri
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg

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Page 8
________________ ।११।।। उपदेशने अयोग्य एका पुरुषो पर सर्प, जळी, वंध्या गाय अने अवध्या गायनादृष्टांतो | उपरना अर्थने व करवा माटे मेहांत योग्य तथा अयोग्य स्वरूप विशेष स्पष्ट करवा माटे पाचाय वरसाद, मो, चालणी, सुघरीनोमाळ, हंस, शो, मशक, जळी, नत्रम तरंग -- दशम तरंग धर्मन उपदेश सर्वने गुलकारी छ, तेमां छायाभ्यनुं निरूपण करं व्यर्थ छ, पत्री शंकानुं समाधान एकादश तरंग उपदेशन योग्य केवा जीव होय, ते विवेचन ते उपर सोमक्यु मा कथा ... ३४ .... कुलपुत्री अांतर.... ** द्वादश तरंग— ..Vo बीसामी, शेगे, गाय, जेरी भने आजीना आजीना तनुं सविस्तर विवेचन त्रयोदश तरंग - 00 धर्मना तत्रने सारी रात नहि जाणनार माणस योग्य ते उपर कुरुचंद्र राजानी कथा फरीचार धर्मन योग्य एवा पुरुषांना स्वरूपनं विवेचन ६५ m 弛 99 ८५ ४ श्री उपदेशरत्नाकर.

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