Book Title: Updeshratnakar
Author(s): Munisundarsuri, Munisundarsuri
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg
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1128000
सर्पना दृष्टांत पर रोहित नामना परिवाजकनी
कथा
चोरनात परजा तरफ बसा पर्वतनी
कथा
उगना दृष्टांत उपर केदारनी माळावाला वीक्षामा
ਸਰ किनात उपर सिंच बंध्या गापना प्रांत ऊपर जौनकार्याशियो
नो संबंध
1234
3.
१५५
१५७
१५०
२६०
२६
पिताना दृष्टांत उपर युवराजर्षिनी कथा
मानाना दांत उपर कमळ शेवना पुत्रने प्रतिबंध आपनार चीजा आचार्यनी का कम्पना तनुं विवेचन
....
प्रथम जागनी विषयानुक्रमणिका समाप्त.
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ताना चार मकार मुनियांनी कया
दॉजिक आपके वचन केलाएक आवकी गाय जेवा होय जे ते उपर - नपतिशेवनी संबंध
पिताना ऊपर बद्र राजानी कया
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श्री उपदेश रत्नाकर.

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