Book Title: Updeshratnakar
Author(s): Munisundarsuri, Munisundarsuri
Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ 1128000 सर्पना दृष्टांत पर रोहित नामना परिवाजकनी कथा चोरनात परजा तरफ बसा पर्वतनी कथा उगना दृष्टांत उपर केदारनी माळावाला वीक्षामा ਸਰ किनात उपर सिंच बंध्या गापना प्रांत ऊपर जौनकार्याशियो नो संबंध 1234 3. १५५ १५७ १५० २६० २६ पिताना दृष्टांत उपर युवराजर्षिनी कथा मानाना दांत उपर कमळ शेवना पुत्रने प्रतिबंध आपनार चीजा आचार्यनी का कम्पना तनुं विवेचन .... प्रथम जागनी विषयानुक्रमणिका समाप्त. www. ताना चार मकार मुनियांनी कया दॉजिक आपके वचन केलाएक आवकी गाय जेवा होय जे ते उपर - नपतिशेवनी संबंध पिताना ऊपर बद्र राजानी कया mer १० .१०४ ....fuu १०६ 50.9 U श्री उपदेश रत्नाकर.

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 430