Book Title: Updeshmala
Author(s): Dharmdas Gani, Dinanath Sharma
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 198
________________ चंदो ब्व कालपक्खे' परिहाइ पए पए पमायपरो । तह उग्घर -विघर -निरंगणो या न य इच्छियं लहइ ।।४७७।। भीओब्विग्ग -निलुक्के पागड -पच्छन्न-दोससर्यकारी । अप्पचयं" जणंतो जणस्स धी'२ जीवियं जियइ ।।४७८ ।। न तहिं३ दिवसा पक्खा मासा वरिसाव संगणिजंति५ । जे मूलउत्तरगुणा अक्खलिया ते गणिजंति ।।४७९ ।। जो न वि दिणे दिणे संकलेइ के अज अजिया मे" गुणा" । अगुणेसु यनवि खलिओ" कहसो उ करेज" अप्पहियं ॥४८॥ इय गणियं५ इय तुलियं इय बहुहाई दरिसियं नियमियं च । जइ तह वि" न पडिबुज्झइ किं कीरउ नूण भवियव्वं ।।४८१ ।। किमगं तु पुणो२२ जेणं संजमसेढि सिढिलीकया५ होइ । सो तं चिय पडिवजइ दुक्खं पच्छा उ उजमइ ।।४८२ ।। जइ सव्वं उवलद्धं जइ अप्पा भाविओ९ उवसमेणं' । कायं वायं च मणं च उप्पहेणं जह न देइ४३ ।।४८३ ।। (१) चंद पा १. (२) पखे पा १. (३) 'करो पू २. (४) ओघर पू २; उघर' पा २. (५) 'विग्घर पू १. (६) अ पू २. (७) भीउविग्ग पा १, पू १; भीउब्विग पू २; भीओविम्ग पा २. (८) पायड पा १, पा २. (९) 'पुच्छन्न पू २; पच्छण्ण जै. (१०) सया' खं १. (११) अप्पच्चियं पू १; अप्पच्छयं पा २. (१२) धीइ पा २. (१३) तहि जै. (१४) वि पू १; य पा २. (१५) "णिझंति पू १. (१६) "किलेइ पा १; 'कालेइ पू २. (१७) केह के पा २. (१८) मे जै, खं २, खं ३, पा १, पा २, पू १, पू २; मए खं १. (१९) गुणिया पा १. (२०) अगुणेहि दो. (२१) य जै, खं १, खं २, पा २, पू २. (२२) खलिउ पू १, पू २; क्खलिउ पा २. (२३) क्षत पा २. (२४) करेउ पा १; करेइ पा २. (२५) गुणियं खं २, पा २. (२६) बहूया पा २; बहुदा पू २. (२७) दरसियं पा २. (२८) निमियं पा २; नियमयं पा १. (२९) व पा २, पू २. (३०) नि पा २, पू २. (३१) कीरइ खं २, पू १; कीरओ खं ३. (३२) किमंग पू १. (३३) धुणो पू २. (३४) सेढी खं १ खं २, खं ३, पा १, पा २ पू. १ पू. २ (३५) सिढलीकया खं ३; सिलिलीकया खं २. (३६) बुज्झइ खं २; 'वज्झइ पा २, पू २. (३७) दुखं पा १. (३८) ओव° पू २. (३९) भाविउ पू १. (४०) उयसमेणं जै; उवसमेण पू १; उवस्समेण पा २. (४१) वयं पा २. (४२) उप्पहेउं पा १; ओप्पहेणं पा २; ओपहेणं पू २; अप्पइएणं पू १. (४३) देह जै. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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