Book Title: Updeshmala
Author(s): Dharmdas Gani, Dinanath Sharma
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 209
________________ २१४ १२७ ७७ २२८ ३५० १९३ ३५२ و ४९४ ५२३ س २८० ३६६ इत्थिपसुसंकिलिटुं इय गणियं इय तुलियं इय धम्मदासगणिणा इह लोए आयासं ईसा विसायमयको इ उग्गाइ गाइ सइ य उच्चारपासवणखेल उच्चारपासवणवंत उच्चारे पासवणे उच्छूटसरीरधरा उज्झेज अंतरे चिय उड्डमहतिरियलोए उत्तमकुलप्पसूया उवएसं पुण तं देंति उवएसमालमेयं उवएससहस्सेहि वि उज्वेवओ य अरणामओ उस्सुत्तमायरंतो एए दोसा जम्हा गीय एएसु जो न वट्टेज एकं पि नत्यि जं एकरस कओ धम्मो एगंतनीयवासी एगदिवसं पि जीवो एगदिवसेण बहुया एगामी पासत्था एत्थ समप्पइ इणमो एयंपि नाम नाऊण ३३४ एवं तु पंचहिं ४८१ एवमगीयत्थो वि हु ५४० एस कमो नरएसु वि ओवीलण-सूयण २८७ ओसन्न वरणकरणं ३७३ ओसन्नया अबोही ३०० ओसन्नविहारेणं १५९ ओसन्नस्स गिहिस्स व ३६७ ओसन्नो अत्तट्टा कंचणमणिसोवाणं २५४ कंताररोहमद्धाणं ३३९ कइया वि जिणवरिंदा १५४ कवडदाहं सामलि कज्जेण विणा ओग्गह ५३६ कजे भासइ भासं ३१ कडुय-कसाय-तरूणं ३१८ कत्तो चिंता सुचरिय २२१ कत्तो सुत्तत्थागम ४११ कप्पाकप्पं एसणमणेसणं ३१० कम्माणसुबहुयाणुवसमेण ४६८ कम्मेहि वजसारोवमेहि १५६ कलहणकोहणसीलो १११ कलुसीकओ य किट्टीकओ कह उ जयंतो साहू १६० कह कह करेमि कह मा ३८७ कह तं भन्नइ सोक्खं ५४२ कह सो जयउ अगीओ ३२२ काऊण संकिलिटुं و ३६ و ५३५ २४९ ३९९ ४७५ ४०८ २५३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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