Book Title: Updesh Tarangini
Author(s): Ratnamandir Gani, Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek Samiti

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Page 203
________________ उपदेशतरंगिणी. १ए कुमार श्रादिकनी पेठे उत्पादिकी, वैनयिकी, कार्मकी, श्रने पारिणामिकी नामनी चार प्रकारनी बुद्धि प्राप्त थाय जे. पुंसां शिरोमणीयंते, धर्मार्जनपरा नराः। आश्रियंते च संपनि-लतान्निरिव पादपाः ॥१॥ अर्थ- धर्म उपार्जन करवामां तत्पर एवा पुरुषो जगतमा शिरोमणिरूप थाय ने, तेम लताउँथी जेम वृदो तेम संपदाउँथी ते श्राश्रित थाय . . अहीं सारंगशाह, समराशाह, जगसिंशाह, पेथडशाह, वस्तुपाल, विमलशाह, जावडशाह, बाहममंत्री, कुमारपाल राजा, आमराजा विगेरेनां दृष्टांतो जाणी लेवां. वली नागिलाने तजनार लवदेवना लाइ नवदत्तनी पेठे लजाथी धर्म थाय ने, मेतार्य मुनिने हणनार सोनीनी पेठे जयश्री धर्म थाय ने, वितर्कथी चंडरूजाचार्यना शिष्यनी पेठे धर्म थाय ने, स्थूलना पर मात्सर्य करनार सिंहगुफानिवासी साधुनी पेठे मात्सर्यथी धर्म थाय , अर्हन्नक यति मातानी पेठे अथवा स्थूलनजना नाना नाश् श्रीयकनी पेठे स्नेहथी धर्म थाय ने, सुहस्ति महाराजे प्रतिबोधेला मकनी पेठे लोनथी धर्म थाय बे, बाहुबलिनी पेठे हत्थी धर्म थाय ने, दशार्णलष राजानी पेठे अनिमानश्री धर्म थाय , ( अहंकारना संबंधमां गौतमस्वामी, सिद्धसेन दिवाकर, हरिजन सूरि विगेरेनां संबंधो पण जाणी लेवा.) नमि विनमिनी पेठे विनयथी धर्म थाय , ब्रह्मदत्त चक्रीनी पेठे शृंगारथी धर्म थाय , आनीर तथा श्रायरक्षित आचार्यनी पेठे कीर्तिथी धर्म थाय ने, कार्तिक शेग्नी पेठे मुखथी धर्म थाय ने, गौतम स्वामिए प्रतिबोधेला पंदरसो त्रण तापसनी पेठे कौतुकधी धर्म थाय ने, इलापुत्रनी पेठे विस्मयश्री धर्म थाय , अजयकुमार तथा आर्षकुमारनी पेठे व्य

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