Book Title: Updesh Ratnakara
Author(s): Munisundarsuri, Amrutlal
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 14
________________ पत्राङ्क: पत्राङ्कः विषयक्रमः उपदेशरलाकर ४८ २७ ॥ ६ ॥ OOOOOOOOOOOOOOOGS कृष्णभेरीपालकयोः .... ... आभीर्योः .... अर्थित्वे सोमवसोः (मिह भुंजेयवमित्यादेरर्थः) का परीक्षकत्वे कुरुचन्द्रस्य ..... .... CMN०० उभयोपकारित्वे कुमारपालनृपस्य ..... वागसारक्रियासारत्वे कालिकाचार्यशिष्याणाम् सर्पसमगुरुत्वे परिव्राजः.... आमोषकसमगुरुत्वे पर्वतकस्य .... ठकसमे केदारमार्जारस्य.... वन्ध्यगोसमे भौतिकशिष्याणाम् .... सखिसमे बप्पभट्टिसूरीणाम् ... बन्धुसमे श्रीहेमचन्द्राचार्याणाम् .... मातृसमे कमलबोधितृतीयाचार्याणाम् पितृसमे श्रावकत्वे बलभद्रस्य । शृगालसमे गुरुत्वे शृगालस्य .... अशुभधर्मदायित्वे पिप्पलादस्य .... कदलीसमे गुरुत्वे केशिकुमारस्य .... द्वितीयेऽशे दृष्टान्ताः। सरूपोपदेशक्रियाहीनत्वे मङ्वाचार्यस्य जगणिकाभरणसमे गुरौ अङ्गारमर्दकस्य । व्यवहार्याभरणसमस्य यवराजर्षेः .... .... | वरदत्तश्रेष्ठिदासीपुत्रस्य वेश्याभरणोपमितक्रियायाम् .... ..... .... स्वमात्रोपकारे आर्यमहागिरेः उभयोपकारशून्यत्वे सहदेवस्य .... PTTTTTOOCHCGGOOOOOGGE ५५-६० ६१-६३ ४१ Jain Education and For Private Personal use only COPainelibrary.org

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