Book Title: Updesh Ratnakara
Author(s): Munisundarsuri, Amrutlal
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
View full book text
________________
पत्राङ्क:
३५
1000000000000000000G3000
पत्राङ्क: धर्मबीजकरणे धर्मघोषसूरीणाम् .... .... ७६ कुमारपालनृपसुमत्योः श्रेष्ठगुणे परनारीसहोदरता. समरसुभटत्वरूपे विवेकरूपे च ....
.... ८२ रागयुतदेशनायां सावधाचार्यस्य .... उत्सारकल्पाचार्यस्याज्ञाने अतिशययुतत्वे बलभद्रक्षुल्लकस्य .... चारित्रातिशयवत्त्वे श्रीहेमचन्द्रसूरिशिष्ययश|श्चन्द्रस्य .... .... .... ....
तृतीयेऽशे दृष्टान्ताः। आरम्भादौ वैतरणीवैद्यस्य .... असारशुभफलदधर्माहत्तौ सुन्दरवणिजः याणकविक्रयिनटपटूस्य धर्मस्वरूपे
११२ चण्डालीभूतविप्रस्य द्वेषाभावे ....
तुच्छफलधर्मे गजीभूतश्रेष्ठिनः ....
तुर्येऽशे दृष्टान्ताः। अविधौ पुण्यसारनृपतजनन्यादीनाम् कुभावधर्मे निधिदेवस्य .... समगुणदोषे धर्मे श्रीधरस्य अल्पविधिहीनधर्मे रामवामनसङ्ग्रामाणाम् .... अल्पदोषबहुगुणकृद्धर्मे वामनस्थलीयश्रेष्ठिनः १३९
इति चतुरंशमयं प्रथमं तटम् पृथ्वीचन्द्रगुणसागरयोर्नरभवसामर्थे १४७ अचित्ताहारित्वादौ धनश्रेष्ठिनः ....
१६२ कुलधनधर्मविवेकयुतत्वे वस्तुपालस्य अन्यायद्रव्ये धननवलकस्य न्यायद्रव्ये हेलावेष्ठिनः....
१६८
900000000000000000000000
.
.....९९
१
६५
Jain Education
For Private & Personel Use Only
CHORainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 486