Book Title: Updesh Ratnakar
Author(s): Lalan Niketan
Publisher: Lalan Niketan

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Page 11
________________ ऐका हि कागमगजी रफलैतदन्य मिथ्या त्विन्नड कबुधेतरयोग्यताद्यैः ॥ नेदैस्ततो नवनवैः सुकृतोपदेशान् । वदये बहूनि परप्रतिबोध सिद्धयै ॥ २४ ॥ एतद्वृत्तद्वयस्य व्याख्या - व्याख्याकृतां बुद्धिभेदान् मंदमंदतर विशिष्ट विशिष्टतराद्यवगमरूपान् प्रकरण सिद्धांत विचारकथा दिव्या ख्येरुचिरूपान् वा, श्रोतॄणामप्याशयांश्चैतदनुसारेण विचित्ररूपान् विनाव्य, तादृकू सामग्र्येति तादृशा क्षेत्रावसर श्रोतृपुरुषादिवैचित्र्यरूपया सामग्र्या उपकार्याणां किं व्याख्यास्य इति चिंतानिरासेनोपदेष्वाणांनवनवव्याख्यानश्रवणप्रमादिश्रोतॄणां चोपकारमुपदेशैर नेकैर्विचित्रैरेव जाने, इति संटकः ॥ २४ ॥ अने तेलामा एक दिवस वांची शकाय तेवा तेथ अन्य गमने अनु सरनारा अने तेथी अन्य, गंजीर अर्थोवाळा अने तेथी अन्य पुण्य पापनां फळोने प्रकाश करनारा अने तेथी अन्य, तमेज मिथ्याविनी अने तेयी अन्योनी जद्रकोनी अने तेथी अन्योनी, विधानोनी अने तेथी अन्योनी योग्यता आदिक नवा नवा जेदोवने करीने अन्यना प्रतिबोधनी सिद्धि माटे या कार्यमां हुं घणा सुकृत उपदेशो कहीश ॥ २४ ॥ हवे ते (वीस् अने चोवीसना आंकवाळा) बने काव्योनी व्याख्या करे बे—व्याख्यान करनारायना बुद्धि दोने एटले मंद अथवा वधारे मंद, विशेष अथवा वधारे विशेष इत्यादिक ज्ञानरुपी जेदोने, अथवा प्रकरण, सिद्धांत, विचार कथा आदिकर्नी व्याख्यान करवा योग्य रुचिरूपी जेदोने जाणीने तेवी रीतनी सामग्रीबके करीने, एटले तेवी रीतन क्षेत्र, काळ तथा श्रोता पुरुष त्र्यादिकनी विचित्रतारूप सामग्रीव के करीने, अर्थात् उपकार करवा लायक मनुष्यो प्रते शानुं व्याख्यान करीशुं ? एवी रीतनी चिंताने दूर करवाव करीने उपदेश देनारा प्रते, तेमज नवां नवां व्याख्यानना श्रवणवमे करीने हर्ष पामनारा श्रोताओ प्रते नाना प्रकारना उपदेशोवमे करीनेज उपकार थाय छे, एम हुं मानुं हुं, एवो संबंध जावो || २५ ||२

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