Book Title: Updesh Ratnakar Author(s): Lalan Niketan Publisher: Lalan NiketanPage 13
________________ ܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀:QQQM܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀܀ 8 अने तेथी एटले पूर्व कहलां कारणथी अहीं, एटले आ उपदेशरत्नाकर नामना ग्रंथमा नवा नवा नदोवो || करीने घणा सुकृत उपदेशोने हुं कहीश; एवो (काव्यनो) संबंध जे. हवे तेमाना केट्वाक दोनेज नाम बहने ४ा देखा . एक दिवसमां जेतुं व्याख्यान था इके, तेवा उपदेशो अकाहिक' कहेवाय. तेथी अन्य' ए| 18| शब्दने दरेकनी साये जोमवायी तेओथी अन्य एटले बे आदिक दिवसोमा जेोनुं व्याख्यान थइ इके एवा || | उपदशो जाण वा. आगम ए सूत्रने सूचबनारूं होवाथी आगमने अनुसरनारा एटले आगमना आलावा आदिकना || अर्थरूप उपदेशो जाए वा; तेमज तेथी अन्य एटले प्रकरण ना विचार आदिकना अर्थरूप, तथा पोतानी बुद्धिथी। रचेला काव्य तथा गाथा आदिकरूप उपदेशो जाणवा. गंजीर एटले गहन अर्थोवाळा, अने तेश्रोथी अन्य एटले की प्रगट अर्थोवाळा उपदेशो जाए वा. फळ एटले पुण्यपापनां फोने प्रकाशनारा, अने तेथी अन्य एटले पुण्यपापोनां || स्वरूप तथा कारण आदिकने प्रकार वारूप उपदेशो जाए वा. अहीं 'अहि कादिक' चारे दोनो इंच समास करीने || पछी बह वचनांत 'एतदन्य' शब्दनी साथे इंछ समासकरवा. रळी मिथ्यावित्रो प्रते तथा 'इतर' शब्दने दरक १ पद साथे जोमवाथी तेत्रोथी अन्य प्रते एटले मिश्र सम्यग् दृष्हिओ प्रते, तेमज नद्रको प्रते तथा तेश्रोथी अन्य || प्रते एटने कठिन आदिक प्रकृतिवाळामो प्रते अर्थात् ग्रहण करेल, एवा मिथ्यात्वे करीने ते शास्त्रोना उपदेशने नहीं | लायक एवाओं प्रते. वळी पंमितो प्रते एटले पोतानां शासननुं अनुकरण करनाराओ प्रते, तथा अन्य शासन- ज्ञान | का धरावनाराको प्रते तेश्रोथी अन्य प्रते एटले मुग्ध आदिको प्रते पूर्वनी पेठे इंघ समास करते उते, योग्य एवा | | उपदेशो, एवी रीतनां विशेष पदनो सर्व जगोए अध्याहार जाणवो. पी पूर्वे योजेनां पदोनी साथे ६६ समास करवो. तेत्रोनो जे नाव, ते तेओनी योग्यतापणं कहेवाय, ते आदिक नेदोवमे करीने आदि शब्दयकी राजा, मंत्रि, क्षत्रिय, ब्राह्मण, आदिकने योग्य, एवा उपदेशोनुं ग्रहण करवू ॥३॥Page Navigation
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