Book Title: Tulsi Prajna 2002 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 89
________________ 35. तुलसी प्रज्ञा 36. तत्रैव 37. जैन स्तोत्र सन्दोह भाग 1 2. सम्पादक मुनि चतुरविजय, प्रकाशक साराभाई मणिलाल नवाब, प्रथम भाग 38. तत्रैव प्रो. कपूरचन्द जैन, खण्ड-8 अंक 46 39. संस्कृत काव्य के विकास में बीसवीं शताब्दी के जैन मनीषियों का योगदान -प्रो. कपूरचन्द जैन, खण्ड - 8, अंक 4-6, पृष्ठ 53 श्रीमती संगीता मेहता, खण्ड 15, अंक 4 मार्च 1990 86 सहायक ग्रंथ - श्रीमद्भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन - डॉ. हरिशंकर पाण्डेय संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान - डॉ. नेमिचन्द शास्त्री संस्कृत काव्य के विकास में जैन मनीषियों का योगदान - डॉ. नरेन्द्रसिंह राजपूत तुलसी प्रज्ञा संस्कृत काव्य के विकास में चूरू मण्डल का योगदान - डॉ. चन्द्रलेखा शर्मा Jain Education International डॉ. नरेन्द्रसिंह राजपूत शोधकर्त्ता जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म तथा दर्शन विभाग जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) लाडनूँ - 341306 (राजस्थान ) For Private & Personal Use Only | तुलसी प्रज्ञा अंक 116-117 www.jainelibrary.org

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