Book Title: Tulsi Prajna 2002 04
Author(s): Shanta Jain, Jagatram Bhattacharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 122
________________ Postal Department : NUR 08 R.N.I.No.28340/75 य:स्याद्वादी वचनसमये योप्यनेकान्तदृष्टिः श्रद्धाकाले चरणविषये यश्च चारित्रनिष्ठः। ज्ञानी ध्यानी प्रवचनपटुः कर्मयोगी तपस्वी, नानारूपो भवतु शरणं वर्धमानो जिनेन्द्रः / / जो बोलने के समय स्याद्वादी, श्रद्धाकाल में अनेकान्तदर्शी, आचरण की भूमिका में चरित्रनिष्ठ, प्रवृत्तिकाल में ज्ञानी, निवृत्तिकाल में ध्यानी, बाह्य के प्रति कर्मयोगी और अन्तर् के प्रति तपस्वी है, वह नानारूपधर भगवान् वर्द्धमान मेरे लिए शरण हो। हार्दिक शुभकामनाओं सहितएम.जी. सरावगी फाऊण्डेशन (महादेव लाल गंगादेवी सरावगी फाउण्डेशन) 41/1 सी, झावुतल्ला रोड़, कोलकता- 700 019 प्रकाशक - सम्पादक - डॉ. मुमुक्षु शान्ता जैन द्वारा जैन विश्वभारती संस्थान, लाडनूं के लिए प्रकाशित एवं जयपुर प्रिण्टर्स, जयपुर द्वारा मुद्रित

Loading...

Page Navigation
1 ... 120 121 122