Book Title: Tulsi Prajna 1993 07
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 111
________________ १११ :. ora णो नत्थि णस्थि णस्थि १.११,१२ सत्तोववाइया सत्तोवपातिया सत्तोवपातिया लोए लोगे लोए १.१२ होइ होति होति १.१२ वाइणो वादिणो वाइणो १.१४ कओ कुओ कुओ १.१४ महब्भूया महब्भूता महब्भूता १.१५ इ इधं इहं सासए सासते सासते १.१५ नो नो १.१६ सव्वहा सव्वधा सव्वहा खणजोइणो खणजोइणो खणजोगिणो १.१७ एगओ एको एकओ १.१८ अणुहोति अणुभवंति १.२६ हस्तप्रतों में एक ही शब्द के अलग-अलग पाठ आचारांग के मजैवि. के संस्करण (ई. स. १९७६) में जिन हस्तप्रतों का उपयोग किया गया है उनमें एक ही सूत्र में अलग-अलग प्रतियों में एक ही शब्द के अलग-अलग पाठ मिलते हैं और एक ही प्रति में अलग-अलग सूत्रों में प्रयुक्त एक ही शब्द के अलग-अलग पाठ मिलते हैं। प्रतियां सूत्र नम्बर १. शब्द-यथा जहा १०२ अधा १३३ अहा १४६ जधा १०२ जधा १३३ अधा १४६ जहा १०२ अधा १३३ अधा १४६ जहा १०२ जहा १३३ अधा १४ २. एकदा सं. एगया ६६ एगता ६७ एगदा ३०९ शां. एगया ६६ एगया ६७ एगता ८१ खं. एगया ६६ एगता ६७ एगः ३०९ एकदा १६३ खे. एगता ६६ एगता ६७ एगदा ३०९ एगया ६४,८१,८२ जै. एगता ६६ एगता ६७ एगदा ३०९ एगया ८१,८२,१६३ इ. एगदा ६६ एगता ६७ एकता ३०९ एगया ८१,८२ एकदा १६३ * हस्तप्रतों का विवरण मजैवि. के संस्करण में उपलब्ध है। खण्ड १९, अंक २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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