Book Title: Tulsi Prajna 1991 07
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 56
________________ एम. ए. और पी-एच. डी. में प्रवेश हेतु सूचना २६ जुलाई, ६१ को औपचारिक सत्रारम्भ का उद्धाटन राजस्थान के राज्यपाल महोदय द्वारा सम्पन्न हो चुका है। कक्षा-अध्ययन दिनांक २१ सितम्बर, १९९१ से प्रारम्भ है। निम्नलिखित चार विषयों में एम. ए. की कक्षाएं चलेंगी तथा पी-एच.डी. के लिए शोध-कार्य भी हो सकेगा(१) जैन-विद्या और तुलनात्मक धर्म-दर्शन (Jainology and Com parative Religion and Philosophy) (२) प्राकृत भाषा साहित्य एवं भाषाविज्ञान ((Prakrit Language, Literature and Linguistics) (३) व्यक्तित्व-विकास का मनोविज्ञान, जीवन विज्ञान एवं प्रेक्षाध्यान (Psychology of Personality Development, Science of Living and Preksha Meditation) (४) अहिंसा का अर्थशास्त्र और शान्तिशोध (Economics of Non violence and Peace Research) प्रवेश-अर्हता ० बी. ए., बी. एस. सी., बी. कॉम., शास्त्री, आयुर्वेदाचार्य (बी. आई. एम. एस.), बी. ई. (अभियांत्रिकी) अथवा 'जैन-विद्या स्नातक' उत्तीर्ण जिन्होंने कुलयोग के ४५०, अंक या जिस विषय में एम. ए. करना चाहते हैं उसमें ४८% अंक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी एम. ए. में प्रवेश के लिए पात्र हैं और सम्बन्धित विषय में एम. ए. या समकक्ष योग्यता प्राप्त विद्यार्थी पी-एच. डी. में प्रवेश ले सकते हैं । छात्रवृत्तियां ० पोस्टग्रेज्युएट कक्षाओं के सुयोग्य विद्यार्थियों के लिए न्यूनतम २५० रुपये से अधिकतम ५०० रुपये प्रतिमाह की २० छात्रवृत्तियां उपलब्ध ० शोध-छात्रों के लिए न्यूनतम १००० रुपये से अधिकतम २००० रुपये प्रतिमाह की १० छात्रवृतियां दो वर्षों तक देय हैं। ० छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग छात्रावास की व्यवस्था उपलब्ध है। ० विशेष जानकारी के लिए रजिस्ट्रार, जैन विश्व भारती इन्स्टीट्यूट, लाडनूं-३४१३०६ (राज.) के नाम ५/- रुपये का रेखांकित भारतीय पोस्टल आर्डर और "x६" आकार का डाक टिकट सहित स्वयं का पता लिखा लिफाफा भेजकर इन्स्टीट्यूट का प्रोस्पेक्टस मंगायें। ---कुलसचिव तुलसी प्रज्ञा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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