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विषय-परिचय विध द्वारो ( अनुयोगद्वारो ) अने अनेकविध मार्गणाओ बताववामां आवी छे के जे द्वारो अने मार्गणाओनो आश्रय करी ते ते पदार्थोनु चिन्तन वगेरे करतां अतीन्द्रिय पदार्थो पण इन्द्रियगोचर पदार्थोनी जेम मानसपट उपर भासमान थाय छे. आ बन्धविधानग्रन्थना प्रकृतिबन्ध स्थितिबन्ध वगेरे दरेक विभागमा आवता प्रकृतिवन्ध स्थितिबन्ध वगेरे भिन्न भिन्न बन्धोने पण सत्पद, स्वामित्व, साद्यादि, काळ, अन्तर, संनिकर्ष, भङ्गविचय, भाग, परिमाण, क्षेत्र, स्पर्शना वगेरे ते ते अनुयोगद्वारोने अबलंबी 'गइ इंदिये य काये'इत्यादि मूलमार्गणास्थानोमां तथा नरकगतिआदि मार्गणाओना भेद-प्रभेदरूप प्रथमपृथ्वीनरकभेद वगेरे उत्तरमार्गणाओमां एम ★ १७४ जेटली मार्गणाओमां तेमज 'एगिदिय-सुहुमियरा' इत्यादि १४ जीवभेद वगेरे आश्रयी यथासंभव विचारणा करवामां आवी छे.
प्रस्तुतग्रन्थ 'मूलप्रकृतिस्थितिबन्ध' अने एना ६ अधिकारो
कर्मवन्धना प्रकृतिवन्ध, स्थितिबन्ध, रसबन्ध अने प्रदेशबन्ध एम चार भेद आगळ कही गया, अने त्यां ज साथे साथे प्रकृतिना ८ मूळभेद अने १२० उत्तरभेद पण वतावी गया. हवे ते ते प्रकृतिने आश्रयी स्थितिबन्ध रसबन्ध, अने प्रदेशबन्धनी विचारणा थती होवाथी स्थितिबन्धादिनी विचारणा पण मूळ उत्तर भेदथी थाय छे. तेमां प्रस्तुत ग्रंथमा मूलस्थितिबन्धनो (मूळप्रकृतिस्थितिवन्धनी) विचारणा ६ अधिकारोने आश्रयी करवामां आधी छे, के जे अधिकारोमां अनुक्रमे ४, १५, १३, ३, १३ अने ३ द्वारो छे. प्रथम अधिकार अने एनां ४ द्वारो:
पूर्वे स्थितिवन्धनो अर्थ कही गया अने साथे साथे एक एक समये थता स्थितिबन्ध प्रमाण ते वखते ज्ञानावरण वगेरे ते ते प्रकृति तरीके बनतांदलिकोमां वधारेमां वधारे स्थितिकाळवाळां दलिकोने हिसावे गणाय छे ते पण कही गया. हवे तेमा जे दलिकोने हिमावे स्थितिवन्धन प्रमाण नक्की थाय छे ते दलिकोनो स्थितिकाळ बे रीते गणी शकाय छे, एक तो-बन्धसमयथी मांडीने अने बीजो-ते वखते ज्ञानावरणादि ते ते प्रकृति तरीके थयेलां दलिकोमांथी कोई पण दलिको उदीरणाकरणआदिनी सहाय वगर स्वाभाविक रीते उदयमां न आवी शके तेवो काळ (अबाधाकाल) बाद करीने. आ बेमा पहेलीरीते गणाता काळने 'कर्मरूपताअवस्थानलक्षण स्थितिकाळ' कहेवाय छे,ज्यारे बीजी रीते गणाता काळने अनुभवयोग्य स्थितिकाळ' कहेवाय छे. अने ते हिसावे स्थितिबन्धप्रमाण के जे सौथी वधारे स्थितिवाळां दलिकने आधीन छे ते पण वे प्रकार कहेवाय छे.
दा० त० अमुकसमये आत्मा साथे जोडातां असत्कल्पनाए १ करोड कमदलिकोमाथी १ लाख जेटलां कर्मदलिकोमांज्ञानने आवरवानो स्वभाव उत्पन्न थाय छे. ते वखते ते लाख जेटलां दलिको
★ जुओ पृष्ठ ९७ उपरनो यन्त्र.
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