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विषय-परिचय
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वृद्धि वगेरे उपर कहेला त्रण पदो करतां विपरीत लक्षणवाळां एटले के सर्वस्तोक-समयमात्र स्थितिवन्धना तारतम्यथी प्राप्तथतां स्थितिबन्धभूयस्कारादि ते जघन्यवृद्धि आदि त्रण पद तरीके छे.
सत्पद द्वारमां-ओपथी अने ते ते (१७० ) मार्गणाओमां उपरोक्त स्वरूपवाळां ६ पदोमांथी केटलां अने कयां पदो मले छे ते बतावायु छे, ज्यारे पूर्ववत् स्वामित्व द्वारमांते ते सत्पदोना स्वामी बन्धको केवी अवस्थामां ते ते वृद्धयादिपदना बन्धक बने छे ते दर्शावायुछ. त्रीजा अल्पबहुत्व द्वारमां-त्रण उत्कृष्टपदोनुं एक अल्पबहुत्व बताव्यु छे के जेमा उत्कृष्टपदो जे स्थितिबन्धतारतम्पथी उत्पन्न थायछे ते स्थिति पन्धलार सम्योनी परसरना हीनाधिकता दर्शावाई छे, अने तेज रीते जघन्यपदोनु एक अल्पवहुत्व बताव्यु छे. टीकाग्रन्थमा उक्त त्रणे द्वारमा कहेला पदार्थोने स्पष्ट करी अधिकारना अन्ते त्रगे द्वारना पदार्थोनु संग्राहक यन्त्र पण आलेख्य छे.
पांचमो वृद्धि अधिकार अने एनां १३ द्वारो पदनिक्षेप अधिकार पछी पांवमो वृद्धिअधिकार आवे छे. वृद्धिअधिकारमा मूळआठकर्मना स्थितिवन्धनी वृद्धि, हानि, अवस्थान अने अवक्तव्य एम चार विषयो उपर सत्पद,स्वामित्व आदि बारोमा पूर्वनी जेम जीव सामान्यने आश्रयीने अने (१७०)मार्गणास्थानवति जीव विशेषने आश्रयीने विचारणा करवामां आधी छे. एम छतां भूयस्कारअधिकारनी जेम अधिकारनु नाम वृद्धिअधिकार एवं राख्यु छे.
__ जेम पदनिक्षेप अधिकारमा कही गया तेम जो के अहींयां पण वृद्धि भूयस्कारस्थितिबन्धविशेषरूप ज छे तेमज हानि अल्पतरस्थितिबन्धविशेषरूप ज छे,छतां पदनिक्षेप अधिकारमा वृद्धि अने हानि उत्कृष्टपदमां अने जघन्यपदमा रहेली ज, अर्थात् वधारेमांवधारे स्थितिवन्धतारतम्यथी प्राप्त थती अने ओछामा ओछा स्थितिवन्धतारतम्यथी प्राप्त थती लईने ते उपर विचारणा कराई छ ज्यारे अहींयां वृद्धिअधिकारमा वृद्धि चार प्रकारनी-(१) असंख्यभागस्थितिबन्धवृद्धि,(२) संख्यातभागस्थितिबन्धवृद्धि, (३) संख्यातगुणस्थितिबन्धवृद्धि, अने (४) असंख्यातगुणस्थितिवन्धवृद्धि. तेवीज रीते हानि पण चार प्रकारनी-(५)असंख्यभागस्थितिबन्धहानि,(६)संख्यातभागस्थितिबन्धहानि,(७)संख्यातगुणस्थितिबन्धहानि अने (८) असंख्यातगुणस्थितिबन्धहानि एम आठ प्रकारना स्थितिबन्धविशेषो पर विचारणा कराई छे.
जेमके-ज्ञानावरणादि ते ते मूळकर्मनी असंख्यातभागस्थितिबंधवृद्धि वगरे ते ते वृद्धिमाथी अने असंख्यातभागस्थितिबंधहानि वगेरे ते ते हानिमांथी जीवसामान्यमां अने नरकगतिओघ वगरे मार्गणा ओमां कई कई वृद्धिओ अने कई कई हानिओ सत् छे (मली शके छे). ते ते वृद्धिना अने हानीना स्वामी (बंधक) कोण छ. ते ते वृद्धि के हानिनो एकजीवाश्रय काळ जघन्यथी अने उत्कृष्टथी केटलो छे. एज रीते एकजीवाश्रय अंतर जघन्यथी अने उत्कृष्टथी केटलु छे. ओपथी अने ते ते
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