Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 34
________________ चिकनाई और रूखापन होने से पुद्गल परमाणु स्कंधों का बंध होता है। न जघन्यगुणानाम्॥३४॥ जघन्य अर्थात् एक गुण सहित परमाण का बंध नहीं होता है। गुणसाम्येसदृशानाम् ।।३५।। गुण की समानता होने पर भी सदृश पुद्गलों का बंध नहीं होता है। द्वयधिकादिगुणानांतु।।३६।। किन्तु दो अधिक गुणवालों का ही बंध होता है। बंधेऽधिकौपारिणामिकौ च।।३७॥ बंध अवस्था में अधिक गुण सहित पुद्गल अल्प गुण सहित को परिणमावने वाले होते हैं। गुणपर्ययवद्रव्यम्।।३८।। द्रव्य, गुण और पर्याय वाला होता है। कालश्च।।३९।। काल भी द्रव्य है। सोऽनन्त समय:।।४।। वह काल द्रव्य अनंत समय वाला है यद्यपि वर्तमान काल एक समयात्मक है; परन्तु भूत भविष्यत् वर्तमान की अपेक्षा अनन्त समयवाला है। द्रव्याश्रया निर्गुणागुणा: ।।४१ ।।

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