Book Title: Tarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Author(s): Taranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
Publisher: Mathuraprasad Bajaj

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Page 4
________________ ॥४॥ ॥४ ॥ • ला• अशुद्ध २४४ २ दृढ़ न २४७ १६ लाभ , २० आत्मानुभव २२ निधन २ द्रविधश्चैव ३०८ २० अशुद्धको ३१८ १७ किरण ६ १४ भय रखना * १५८ १३ श्रूवते लोभ आत्मानुभव न लाभ दुविधश्चैव अशुद्धतपको फिरण भय न रखना &GEGREEKEEGGEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERecke ४. का. शुद्ध मशुद्ध | ३७० १४ च रक्षितुं न रक्षितुं " १ शब्द प्रयोग शस्त्र प्रयोग ३८४ १५ चिरता थिरता ३९६ ११ कमी करनी कथा करनी ३९७ अंतिम, सरदा मुरदा ४०० १८ तीसरे दिन भुक्त तीसरेदिन एकभुक्त ४१४ अंतिम शास्त्र विक्रय शस्त्र विक्रय | ४१७ १७ धार्मिक अंतरंग धार्मिक प्रारम्भ | ४२५ १२ अमृत अमृत श्रूयते

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