Book Title: Syadvada aur Saptabhanginay
Author(s): Bhikhariram Yadav
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 266
________________ उपसंहार २१९ दिखाया गया है । प्रत्येक प्रक्षेपक से निकलने वाले प्रकाश को हम एक अवयव मान सकते हैं । क्षेत्र अ, ब और स एक रंग के प्रकाश से प्रकाशित है और क्षेत्र अ + ब, ब + स और अ + स दो-दो अवयवों से प्रकाशित है । जबकि बीच वाला भाग जो तीन अवयवों से प्रकाशित है उसे अ+ब+स क्षेत्र कह सकते हैं । उस भाग को जो दो रंगों के प्रकाश से प्रकाशित है, मिश्रण कहते हैं, क्योंकि प्रकाशित भाग अ, ब, और स तीनों से प्रकाशित होता है । जैसे ही तीनों अवयवों में से कोई अवयव बदलता है मिश्रण का रंग बदल जाता है और किसी भी रंग वाले भाग में से उसके अवयवों को पहचाना नहीं जा सकता है।' वस्तुतः वह दूसरे रंग का जन्म देता है, जो उसके अंगीभूत अवयवों से भिन्न होता है । उस मिश्रण को उसके अवयवों में से किसी एक के द्वारा संबोधित नहीं किया जा सकता है । अतएव उन्हें मिश्रण कहना ही सार्थक है । रंगों का ज्ञान भी कुछ इसी प्रकार का है | यदि हम पीला, नीला और वायलेट को मूल रंग मानकर मिश्रित रंग तैयार करें, तो वे इस प्रकार होंगे - अ+ब+स) वायलेट Jain Education International लाल काला 'पीला नीला 1. College Physics, Fourth edition complete p. 650, By Francis W. Sears and others. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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