Book Title: Syadvada aur Saptabhanginay
Author(s): Bhikhariram Yadav
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 273
________________ २२६ जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगी नय की आधुनिक व्याख्या तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ-डॉ० हुकुमचन्द्र भारिल्ल, __पंडित टोडर मल स्मारक ट्रस्ट, ए-४ बापूनगर, जयपुर, (राजस्थान), १९७४।। दर्शन और चिन्तन-खण्ड १, २-सुखलालजी संघवी, पं० सुखलालजी सम्मान समिति, गुजरात विधानसभा, भद्र, अहमदाबाद, १९५७ । दर्शन दिग्दर्शन--राहुल सांकृत्यायन, किताब-महल, इलाहाबाद, १९४४ । दर्शन शास्त्र का परिचय, जार्ज टामस ह्वाइट पैट्रिक, अनु०-उमेश्वर प्रसाद मालवीय, हरियाणा हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, चण्डीगढ़, १९७३ ।। दीघ निकाय-संपा०-भिक्षु जे० कास्यप, पाली पब्लिकेशन बोर्ड, १९५८ । दीघ निकाय-(हिन्दी) अनु०-भिक्षु राहुल सांकृत्यायन-भि० जगदीश काश्यप, भारतीय बौद्ध शिक्षा परिषद् बुद्ध बिहार, लखनऊ, १९७९ । देवागम अपरनाम आप्तमीमांसा-समन्तभद्र, मुनि अनन्त कीर्ति ग्रन्थ माला, कालबा देवीरोड, बम्बई । न्यायकुमुदचन्द्रः-श्रीमत्प्रभाचन्द्र, संपा० पं० महेन्द्रकुमार न्यायशास्त्री, माणिक चन्द्र दि० जैन ग्रन्थमाला, हीराबाग, गिरगाँव, बम्बई-४। न्यायकुसुमाञ्जलि-उदयनाचार्य, संपा०-महाप्रभुदयाल गोस्वामी, मिथिला इन्स्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज एण्ड रिसचं इन संस्कृत लनिग, दरभंगा, १९७२।। न्यायमञ्जरी-जयन्तभट्ट , संपा०/अनु० नगीनजी शाह, लालभाई दलपत भाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर अहमदाबाद, (१९७५)। न्यायभास्कर-संपा० श्री स्वामी अनन्ताचार्य, श्री सुदर्शन प्रेस, कांजीवरम्, १९२४ । न्यायवातिक तात्पर्य टीका-वाचस्पति मिश्र, संशो० गंगाधर शास्त्री, ई० जे० लाजरस एण्ड कं० बनारस, १८९८ । न्यायावतार-श्री सिद्धसेन दिवाकर, श्रीपरमश्रुत प्रभावक मण्डल, जौहरी बाजार, बम्बई, १९५० । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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