Book Title: Suvarnabhumi me Kalakacharya
Author(s): Umakant P Shah
Publisher: Jain Sanskruti Sanshodhan Mandal Banaras

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Page 3
________________ निवेदन श्री महावीर जैन विद्यालय ने प्राचार्य, श्री विजयवल्लभ सूरि स्मारकग्रन्थ का प्रकाशन कुछ मास पहले किया है। उसमें प्रस्तुत लेख 'सुवर्णभूमि में कालकाचार्यः मुद्रित हुआ है। उसी को पुस्तिका रूप में मण्डल प्रकाशित कर रहा है। अनुमति देने के लिए प्रकाशकों का और लेखक डा० उमाकान्त शाह का मंडल अाभारी है । डा. उमाकान्त मण्डल के सदस्यों के लिये नए नहीं हैं। उन्हीं की पुस्तक Studies in Jain Art इतः पूर्व मण्डलने प्रकाशित की है । उसका जो सत्कार विद्वानों ने किया है उससे मण्डल गौरवान्वित है । प्रस्तुत पुस्तिका से यह सिद्ध होता है कि जैनाचार्य भारत के बाहर जाते थे भारत के बाहर भी जैनधर्म का प्रचार करते थे ; प्राचार्य कालक सुवर्णभूमि में गए हैं ; बर्मा, मलय द्वीपकल्प, सुमात्रा और मलय द्वीप समूह के लिए सुवर्णभूमि शब्द प्रचलित था ; अतएव उन प्रदेशों में उनका विहार हुआ इतना ही नहीं किन्तु अनाम (चम्पा) तक श्राचार्य कालकने विचरण किया- इत्यादि मुख्य स्थापनाएँ सप्रमाण सर्वप्रथम यहाँ डा० उमाकान्त ने की हैं। साथ ही कालक का समय, कालकाचार्यों के कथानकों का विश्लेषण कर के कौन सी घटनाएँ सुवर्णभूमि जाने वाले कालक के जीवन से सम्बद्ध हैं इत्यादि अन्य गौण बातों का भी निरूपण एक संशोधक की दृष्टि से डा० उमाकान्त ने किया है और विद्वानों को प्रार्थना की है कि इस संशोधन के प्रकाश में वे गर्दभ, गर्दभिल्ल, विक्रमादित्य आदि के कूट प्रश्नों के निराकरण ढूँढ़ने का प्रयत्न करें। प्रस्तुत पुस्तिका में प्रेस की असावधानी के कारण पृष्ठ संख्यांक गलत छप गये हैं। पृ०८ के बाद १७ से ३२ के स्थान में ८ से २४ पढ़ें। प्रस्तुत पत्रिका के प्रकाशन में श्री कांतिलाल कोरा, रजिस्ट्रार श्री महावीर जैन विद्यालय ने जो प्रेस, कागज आदि का प्रबन्ध कर देने का प्रयत्न किया है उसके लिए हम उनके श्राभारी हैं। बनारस ०६-६-५६ निवेदक -- दलसुख मालवणिया मन्त्री जैन संस्कृति संशोधन मण्डल प्रकाशक दलसुख मालवणिया मंत्री न संस्कृति संशोधन मंडल बनारस ५. . मुद्रक वि० पी० भागवत मौज प्रिन्टिंग ब्यूरो खटाऊ बाड़ी, बम्बई ४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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