Book Title: Sumitra Charitram
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Hiralal Hansraj Pandit
View full book text
________________ HAR ब- // 12 // // 12 // % कार्यों मन्त्री स एवेति वचो निश्चित्य धर्मधीः / सभार्यः सह भूपेन स वसन्तपुरं ययौ // 57 // / अ०-तेने मंत्री करवो, एवं वचन लेइने धर्मबुद्धिवाळो ते जिनदास स्त्रीसहित राजानी साथे (पाछो) बसन्तपुरमा गयो. // 57 // 1 सर्वैश्वर्य नृपादाप्य सचिवायापकारिणे / मन्त्रित्वं स ददौ धीमान द्विष्टा पकारिणः // 58 // & अ०-राजापासेथी सर्व अधिकार मेळवीने ते बुद्धिवान जिनदासे ते अपकार करनारा मंत्रीने मंत्रीपणुं आप्यु, केमके परोप-6 कारी मनुष्यो द्वेषवाळा होता नथी. // 58 // अथागाद्वनपालोऽत्र वर्धयन्निति भूपतिम् / वनेऽभूत्केवलज्ञानं शङ्करस्तपस्यतः // 59 // अ०–एवामां वनपाल एवी वधामणी आपतो थको त्यो राजा पासे आव्यो के, वनमां तप करता शङ्करनामना मुनिराजने 1 केवळज्ञान थयुं छे. // 59 // तुष्टिदानं प्रदायास्मै वनेऽगाद्विक्रमो नृपः / सहैव जिनदासेन धुर्या धर्मे हि तादृशाः // 6 // अ०-पछी विक्रमराजा तेने तुष्टिदान आपीने जिनदाससहित वनमा गयो, केमके तेवा मनुष्यो धर्ममा अग्रेसर होय छे. // 6 // मुनि नत्वोपदेशं च श्रुत्वावादीददो नृपः / मन्मित्रे जिनदासे कि सापदः संपदः प्रभो // 61 // अ०-मुनिराजने वांदीने, तथा धर्मोपदेश सांभळीने राजाए एम का के, हे भगवन् ! (भा मारा मित्र जिनदासने विपत्तिसहित % व जर

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22