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(११) प्रस्ताव - ६ -. (पृ. २१५-२४७) - पुरुषसिंह का जीव वैजयंत विमान से च्यवित होकर अयोध्या नगरी के राजा मेघ की महारानी मंगलादेवी के गर्भ में पुत्र रूप से अवतीर्ण हुआ । पुत्र जब गर्भ में था तभी मंगलादेवी के जीवन में एक अद्भुत घटना घटी । एक पुत्र के लिए लड़ती दो माताओं में से सच्ची माता का निर्णय मंगलादेवी ने अपने बुद्धिकौशल्य से कर दिखाया (पृ. २२०-२१) ।
पुत्रजन्म के बाद कुमारका सुमति नाम दिया जाता है । देवों द्वारा स्नानादि उत्सव किए जाते हैं । बचपन, शिक्षा और परिणयन के वर्णन के पश्चात् पिता मेघ की श्रमणदीक्षा और सुमति द्वारा राज्यसंचालन का वर्णन आता है । स्वयंबुद्धत्व, केवलज्ञानप्राप्ति, उपदेश, चमरप्रमुख मुनिगण, चमर गणधर इत्यादि के वर्णन के साथ प्रस्ताव पूर्ण होता है (पृ. २३०-२४७) ।
प्रस्ताव - ७ (पृ. २४९-३२७) -यहां से गणधर चमर द्वारा दिए गए उपदेश का वर्णन आता है । इस उपदेश के अंतर्गत विविध उपदेशात्मक कथाएं आती हैं
(१) जिनभक्ति विषय में सुन्दर-कथा (पृ. २४८.-२५९) (२) विधिदान विषयक सुदत्त-कथा (पृ. २६२-२७२) (३) शील विषयक शीलवती कथा (पृ. २७३-२८१) (४) तपश्चरण विषयक निर्भाग्य-कथा (पृ. २८४-३२०)
(५) भावना विषयक क्षुल्लकादि कथा (पृ. ३२०-३२६) प्रस्ताव - ८ (पृ. ३२८-३८४) -
(१) अहिंसा विषयक देवप्रसाद-कथा (पृ. ३२८-३४०) (२) सत्य विषयक कुलाल-कथा (पृ. ३४१-३५०) (३) अस्तेय विषयक नागदत्त-कथा (पृ. ३५०-३५६) (४) शील विषयक रणवीर-कथा (पृ. ३५७-३६८)
(५) परिग्रहविरति विषयक देवदत्त-कथा (पृ. ३६८-३८३) प्रस्ताव - ९ (पृ. ३८५-४९४) - (१) आगम-विराधना-आराधना विषयक नरसुदरराज-कथा (पृ.
३८५-३९३) (२) उत्तम-सेवा विषयक दिवाकर-कथा (पृ. ३९३-३९८) (३) गुरु-आराधन विषयक विमलमति-कथा (पृ. ३९८-४०८) (४) कोप-उपशमन विषयक कपिल-केशव-कथा (पृ. ४०९-४४७) (५) मानविपाक विषयक लीलावती कथा (पृ. ४४९ ४५४)
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