________________
( २१ ) लिए प्राकृत ग्रन्थ परिषद के अध्यक्ष डॉ. नगीनभाई शाह का भी यहाँ आभार मानता हूँ । जिनकी प्रेरणा से इस ग्रन्थ के प्रकाशन खर्च की व्यवस्था हो सकी वे परम पूज्य आचार्य श्री नरचन्द्रसूरिजी म. सा. के प्रति भी वंदनापूर्वक आभार व्यक्त करता हूँ ।
अनेक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण इस ग्रन्थ की विस्तृत अभ्यासपूर्ण प्रस्तावना लिखने की इच्छा होने पर भी अनेक कार्यों में व्यस्त होने से अभी लिख नहीं पाया हूँ इस लिए विद्वद्जनों का क्षमाप्रार्थी हूँ ।
दि. २५-१२-२००३ अहमदाबाद
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
रमणीक शाह
www.jainelibrary.org