Book Title: Subodh Jain Pathmala Part 01
Author(s): Parasmuni
Publisher: Sthanakvasi Jain Shikshan Shivir Samiti Jodhpur

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Page 7
________________ १. सामग्री चयन में बालको को रुचि, अवस्था और क्रम का ध्यान रखा गया है। २. विषय को अधिक-से-अधिक सरल रूप मे प्रस्तुत किया गया है तथा तदनुकूल भाषा की सरलता और सुबोधता भी रखी गई है। ३. विषय को सहज-ग्राह्य बनाने के लिये प्रश्नोत्तरात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। प्रश्नोत्तर शैली उत्सुकता जागृत करने के साथ-साथ चित्त की एकाग्रता को बढाती है। ४. सवादात्मक शैली का उपयोग भी बालको की जिज्ञासा-वृत्ति को जागृत करने और विषय के मर्म का उद्घाटन करने की दृष्टि से सुन्दर बन पड़ा है। ५. सामायिक के पाठो के प्रस्तुत करने का ढंग भी रोचक बन पडा है। मूल पाठ देने के बाद उसके शब्दार्थ दिये गये हैं और तदनन्तर प्रत्येक पाठ के सम्बन्ध मे पृथक् रूप से पाठ के रूप मे प्रश्नोत्तरी दी गई है, जो मूल पाठ के शब्दार्य के स्पष्ट ज्ञान होने के बाद भावार्थ का भी सम्यक् बोध कराने में समर्थ हैं । ६. प्रत्येक कथा की मुख्य-मुख्य घटनामो के शीर्षक कथा मे दिये गये हैं, इससे विद्यार्थियों को सम्पूर्ण कथा-स्मरण रखने मे सुविधा होगी। ७. 'पच्चीस बोल' के उन्हीं बोलों का समावेश इस पुस्तक मे किया गया है, जो सामायिक सार्थ के लिये अधिक उपयोगी हैं। ८. पाठ्यक्रम का संयोजन इस कुशलता से किया गया है कि धार्मिक शिक्षण संस्थानों में भी इसका उपयोग सुगम बन सकेगा।

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