Book Title: Subhashit Sangrah
Author(s): Sukhsagar
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 201
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १९४) १११ १११ ११८ १२० १२६ १२९ १३३ १३६ १४० १५१ आयुष्कं यदि आरंभे नत्थि आशाम्बरत्वे थाहारनिद्रामादिचौरभाघ्रातं परिआलस्स मोहआदौ धर्मधुराआसन्ने व्यसने अामसूत्रव्यूतश्रायुः कर्म च आदौ नम्रः प्रासंसारं पासीदिदं श्रादरं लभते आपातमात्रभायुर्धन आतुरे व्यसने आदाय मांसभास्तन्यपानाभादो मज्जनआयुर्वर्षआसन्नमेव १६ आवश्यकध्यान १७ शात्मायनरके २१ श्राद्येन हीनं आद्यस्त्वं २९ श्राग्रही बत ३२ आवर्तः संशया३४ आभिग्गहिय३९ आपदो महता आपद्गतं हससि आदिमध्यान्त४७ आशा नाम श्रादौ राम शानन्दताण्डव६५ आत्मनो मुख६८ भारोग्यं विद्वत्ता ९३ मात्मार्थं जीव९३ पन्नाशाय इन्द्रोऽपि कीटतां ९७ इह किल ९८ इतरपाप१०१ इह तुरगशतैः १०३ इयं सुन्दरी १०८ इच्छति शती ६४ १५९ १६१ ~ ~ ~ १७२ १७३ १८१ १५४ १९७ १६८ For Private And Personal Use Only

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