Book Title: Stutividya
Author(s): Samantbhadracharya, 
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 190
________________ स्तुतिविद्या काव्य-चित्रोंके कुछ उदाहरण (१) मुरजबन्धः श्रीमज्जिनपदाभ्याशं प्रतिपद्यागसां जये। कामस्थानप्रदानेशं स्तुतिविद्यां प्रसाधये ॥१॥ साध्या शं प्र विप घा ग सा मज्जिन १ दाम्या काम स्थान प्र दा - म स्थान .. ये सामान्य मुरजवन्धके दो चित्र हैं। इनमें पूर्वार्धके वि. षमसंख्याङ्क (१, ३, ५, ७, ६, ११, १३, १५) अक्षरोंको उत्तरार्ध के समसंख्याङ्क (२, ४, ६, ८, १,१२,१४, १६) अक्षरोंके साथ क्रमशः मिलाकर पढ़नेसे श्लोकका पूर्वार्ध और उत्तरार्ध के विषमसंख्याङ्क अक्षरोंको पूर्वार्ध के सम संख्याङ्क अक्षरों के साथ क्रमश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204