Book Title: Stutividya
Author(s): Samantbhadracharya, 
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 196
________________ स्तुतिविधा | र र वा रा पा राक्ष मा २ मा न रा वा मा नाम। म ना मा वा वा मा ना म म ना मा | वा रात मा त । क्ष क्ष मा क्ष | पा रा वा र र वा रा पा इस कोष्ठकमें ऊपरका श्लोक चारों ओरसे पढ़ा जाता है। (१०) गतप्रत्यागतपाद-पादाभ्यासयमक श्लोकः वीरावारर वारावी वररोरुरुरोरव । वीरावाररवारावी वारिवारिरि वार वा ॥८५॥ | वीरा वा र इस कोष्टक में स्थित प्रत्येक चरण के पूर्वार्धको उल्टा पढ़नेसे उसका उत्तराधे बन जाता है। यह श्लोक दो अक्षरों (व, र) से बना |वी रा वा र | वा. रि वारि एवं १३,२४ श्लोको। . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204