Book Title: Stuti Tarangini Part 03
Author(s): Bhadrankarsuri
Publisher: Labdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan

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Page 434
________________ संस्कृत विभाग-२ तिहुअणजणचितिअकरणन मिश्लोअसंदोहसंकर, सीमंधर - सामिपमुह विहरमाणजिण बीस, भवुद हितारण जणसमहउं पणमउं निसिदिस ॥६॥ ( साचोर ) जम्म मज्झणि जेण निअ चरणि, संचालिय मेरुगिरि असुर माण लीलाई मोडिअ, वासव संसय सविदलिअ मोहजाल तक्खणिहि तोडिय, वीरजिणेसर नमि-असुर प्रहि उठी सविचार, मंडणउ मंडणउ वंदउ महिमासार ॥७॥ नयर सच्चउरह ( थंभण ) दाणव दलि-अमाहप्प, फणमंडविमंडिउ भुषणमज्झिमहिमाहि कमठ गज्झइ, पउमावइ वयरुड जुअ धरणराय जस पाय पुज्जद्द, थंभण सामीसर इसया जइ इच्छह भवपार, दुक्खभार चूरइ सयल भविअहं मंगलकार ( सत्तरिसय जिण ) कणयविदुम धंतवररुप्प, मरगयमणि वेरुलिअ सारसकंतिदिप्पंत गत्ता, भरdar विदेहयगइ मुत्तिरमणि घणरंग रत्ता, २५ Jain Education International ૨૮ For Private & Personal Use Only ||८|| www.jainelibrary.org

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