Book Title: Stotradisangrah
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Ladmal Jain

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Page 10
________________ [१ ] पृष्ठ संख्या पंक्ति अशुद्ध गुद्ध निरक्षा सहस्रया ३०२ विरता सहस्र व्यहार सदभावा: व्यवहार ३०४ राधक ३०७ ३०७ ३०० ३० सूर्या प्रचक्षते गन्याय सलिलस्य तरनत भ्ययेच मुत्तम विहायता भवेत सदभाव: रोधक नहीं चाहिए सूची प्रचक्ष्यते ह्यनन्य बितरति सलिलस्य तरङ्ग: ध्य येन मुत्त न विहीता भवे न तह्म ३०८ ३०१ तह्मय m m r तर.वरः समुग्मित्वा भिधानत। अहि तरवः समुज्झित्य भिधावत: m ३१०

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