Book Title: Siddhantratnikakhyam Vyakaranam
Author(s): Jayantvijay, Vidyavijay
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ निवेदन. जगत्पूज्य स्वर्गस्थ गुरुदेव पूज्यपाद श्रीविजयधर्मसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न स्वर्गस्थ श्रीमान् मुनिरान श्रीरत्नविजयजी महाराजश्रीना उपदेश अने सहानुभूतिथी आ लघु व्याकरणनी पहेली आवृत्ति, संवत् 1965 मां विशनगर निवासी शेठ गोकलदास उगरचंदनी आर्थिक सहायताथी श्रीविशनगर ज्ञानभंडार व्यवस्थापक समाज तरफथी तैना सेक्रेटरी श्रीयुत शेठ महासुखभाई चुनीलाल द्वारा प्रकाशित थई हती, परंतु ते आवृत्ति थोडां वर्षोमां खलास. थइ गइ. ___आ तरफथी आ व्याकरण कलकत्ता संस्कृत एसोशियेशननी जैन श्वेतांबर व्याकरणनी प्रथमा परीक्षामा दाखल थएल होवाथी, श्रीवीरतत्त्वप्रकाशकमंडल ( जैन पाठशाला ) अने बीनी पण संस्थाओना संस्कृतनुं प्राथमिक ज्ञान लेनारा विद्यार्थीओने खास अडचण पडती होवाथी; तेमन मोटी उम्मरना, व्यापारी ने व्यवसायी मनुष्योने थोडा समयमा संस्कृत भाषानुं मौलिक ज्ञान प्राप्त करवा माटे आ व्याकरण खास उपयोगी होवाथी आनी बीनी आवृत्ति छ गववानी घणी अगत्य जणातां पहेली आवृत्ति छपावनार उक्त संस्था पासे फरी छपाववानी मंजुरी मांगतां,

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 278