Book Title: Siddhanta Sutra Samanvaya
Author(s): Makkhanlal Shastri, Ramprasad Shastri
Publisher: Vanshilal Gangaram

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Page 13
________________ और केजी कानाहार इन तीनों बातोंका सप्रमाण एवं-युक्तियुक्त बण्डन है। और तीसरा ट्रैक्ट यह प्रत्यक्षा में पाठकों के सामने है। सिद्धांतशास्त्र का अवलोकन बहुत समय पहले जब हम जेनविद्री (श्रवण बेलगोला) होते हुए मृाविद्री गये थे तब वशं के पूज्य भट्टारक महोदय जी ने हमें बड़े स्नेह और भार के साथ उन ताइपत्रों में लिखे हुए सिद्धान शास्त्रों के दर्शन कराये थे। पूर दीपकों से उनका भारती की गई थी। उस समय हमें बहुत ही पान आया था और उनके शनों से हमने रत्नों की प्रतिमाओं के दर्शन के समान हो अपने को सौभाग्यशाली समझाया। फिर भाज से ई वर्ष पहिले जब परम पूज्ज पाचार्य शांतिसागर जी महाराज ने अपने सम्स्त रिव्य मुनि संव सहित बारामती में चातुमास किया था सबसगोय धर्मवीर दानवीर सेउराव जी सखाराम दोसी के साथ हम भी महागज और उनके दर्शन के लिये वहां गये थे। उस समय परम पूज्य पाचाय म:गज ने सिद्धांत शाम को सुनाने का मादेश हमें लिया था। ता करीब पौन माह रहकर महाराज और संघ के समक्ष हस्त लिखित मूल पति पर से (उस समय (सिद्धांत शाख मुद्रित नहीं हुये थे अतः उनका हिन्दी अर्थ भी अनुवादित नहीं था) प्रतिदिन तः और मम्यान में करीब १०.१२ पत्रों का अर्थ बोर भाशय हम महाराज के ममन्त निवेशन करते थे। वह प्रन्याशय सुनाना हमारा परम गुरु के समक्ष एक

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