Book Title: Siddha Hemchandra Shabdanushasane Agyat kartuka Dhundika Part 04 Author(s): Vimalkirtivijay Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 9
________________ तृजादिषु सन्ध्यक्षरान्तधातोः आत्विधानम् शिति-थवि-णवि सन्ध्यक्षरान्तधातोः आत्निषेधः घञि - णमि धातोः सन्ध्यक्षरस्य आत्विधानम् सनि-यपि अक्डिति आत्विधानम् यपि खलादिवर्जिताक्ङिति आत्विधानम् णौ आत्विधानम् णौ रुहः पविधानम् णी नोऽन्तविधानम् णी लोऽन्तविधानम् जोऽन्तविधानम् योऽन्तविधानम् णी पुरन्तविधानम् ft स्फाय: स्फाविधानम् णी अगत्यर्थशदेः शात्विधानम् ॥ संक्षेपतो विषयानुक्रमः ॥ चतुर्थाध्यायस्य द्वितीयः पादः । आख्यातप्रकरणम् । सूत्रसंख्या - १२३ । पत्राङ्कः १-९९ । णौ ह्रस्वविधानम्- ञि-णमि तु वा दीर्घविधानम् णी ह्रस्वविधानम् इसादिपरे णौ ह्रस्वविधानम् घपरे णौ ह्रस्वविधानम् परे णौ ह्रस्वविधानम् Jain Education Intemational VIII सूत्राङ्कः ४।२।१ ४।२।२, ४।२।३ ४१२४, ४२५ ४।२।६, ४२२१७ ४१२१८, ४१२१९ ४।२।१०-४।२।१३ ४।२।१४ ४।२१५, ४।२।१८ ४।२।१६, ४।२।१७ ४।२।१९ ४।२।२० ४।२।२१ ४।२।२२ ४।२।२३ ४।२।२४-४।२।३१ ४।२।३२ ४।२।३३ ४।२।३४ ४२३५, ४२१३६ For Private & Personal Use Only पत्राङ्कः 9 २ ३ ३-४ ५-६ ७-९ ९ ९, ११ 90 १२ १३ १४ १६ १६ १६-२५ २६ २७ २८ २९-३३ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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