Book Title: Siddha Hemchandra Shabdanushasane Agyat kartuka Dhundika Part 04
Author(s): Vimalkirtivijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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मन्थादिष्वर्थेषु क्तान्ताः क्षुब्धादयो निपातिताः क्तयोरादिः वेनिषेधः
४|४|७० ४।४।७२, ४।४।७३, ४।४।७५
४|४७६
३०६ ३०८. ३०९, ३१०-३१२
३०९
३१२ ३१२, ३१५
३१४
३१५ ३१८-३२० ३२१-३२३
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३२५ ३२६
३२७ ३२८, ३२९
तान्ता दान्तादयो निपातिताः अपचितो निपातितः थव आदिः इट्विधानम् थव आदि: इनिषेधः व्यञ्जनादिपरोक्षादिः इट्विधानम् क्वसोरादिः इविधानम् सिच आदि: इविधानम् से-ध्वयोः, स्व-ध्वमोरादिः इट्विधानम् यादिवर्जितव्यञ्जनादिशित्प्रत्ययादिः इटविधानम् दि-स्योरादि: ईट्विधानम् दि-स्योरादि: अट्विधानम् कृग आदिः स्सट्विधानम् किरतेरादिः स्सविधानम् वौ विष्किरो निपातितः तुम्पतेरादिः स्सट्विधानम् स्वरात्परो नोऽन्तविधानम् स्वरात्परः अदन्तविधानम् पित्कृति तोऽन्तविधानम् आने मोऽन्तविधानम् आसीनो निपातितः विङति कृत इर्विधानम् क्डिति ऋत उर्विधानम् अडि-क्डिति-व्यञ्जनादौ शासः शिस्विधानम् पौ-यवर्जितव्यञ्जनादौ य्वोः लुविधानम् कृतः कीर्त्तविधानम्
४|४|७४ ४/४/७७ ४।४।७८, ४।४।८० ४।४।७९ ४।४८१ ४।४।८२, ४/४/८३ ४।४।८४-४।४।८६ ४।४।८७ ४।४।८८ ४।४।८९ ४।४।९० ४।४।९१, ४/४/९२ ४।४।९३-४।४।९५ ४।४।९६ ४।४।९७ ४।४।९८-४।४।११० ४।४।१११, ४।४।११२ ४।४।११३ ४|४|११४ ४|४|११५ ४।४।११६ ४|४|११७ ४।४।११८-४।४।१२० ४/४/१२१ ४|४|१२२
३३० ३३१
३३१ ३३२-३३९ ३४०-३४२
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३४६
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