Book Title: Siddha Hemchandra Shabdanushasan Bruhad Vrutti Part 01 Author(s): Vajrasenvijay Publisher: Bherulal Kanaiyalal Religious Trust View full book textPage 8
________________ ग्रंथकार का सक्षिप्त परिचय । लेखक : मुनि रत्नसेन विजय क्लुप्त व्याकरणं नवं विरचितं छंदो नवं द्वयाश्रयाऽलंकारौ प्रथितौ नवौ प्रकटितौ श्री योगशास्त्र नवम् । तर्कः संजनितो नवो जिनवरादीनां चरित्र नषम्, बद्धं येन न केन केन विधिना मोहः कृतो दूरतः ॥ _ (सोमप्रभुसूरि) 'नवीन व्याकरण, नवीन छन्दोनुशान, नवीन द्वयाश्रय महाकाव्य, अलंकार शास्त्र, योगशास्त्र, प्रमाणशास्त्र तथा जिनेश्वरदेवों के चरित्रों की रचना कर के (श्रीमद् हेमचन्द्राचार्यजी ने) किस-किस प्रकार से मोह को दूर नहीं किया है ? ! पूर्व वीरजिनेश्वरे भगवति पख्याति धर्म स्वयं, प्रज्ञावत्यभयेऽपि मंत्रिणि न यां कर्तुं क्षमः श्रेणिकः । . अक्लेशेन कुमारपालनृपतिस्तां जीवरक्षा व्यधातू, __ यस्याऽऽपीय वचस्सुधां स परमः श्री हेमचन्द्रोगुरुः ।। (पंडित श्रीधर) जिसको साक्षात् वीर भगवान् धर्म का कथन करते थे और प्रज्ञावान् अभयकुमार जैसा मन्त्री था, वह राजा श्रेणिक भी जो जीव रक्षा न कर सका, वह जीव रक्षा जिनके वचनामृतों का पान कर कुमारपाल सरलता से कर सका, घे श्रीमद् हेमचन्द्राचार्यजी वास्तव में एक परम (महान् ) गुरु है । एक महान् आत्मा का पृथ्वी तल पर अवतरण : अनन्त ज्ञानी सर्वज्ञ सर्वदर्शी चरम तीर्थाधिपति भगवान् महावीर परमात्मा के परम पावनकारी जिन शासन को प्राप्त कर जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन जिनशासन की अगम्य निधि के संरक्षण में व्यतीत कर...जिन शासन की एक महानू सेवा की है, ऐसे महान् प्रभावक, कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचन्द्राचार्यजी के पुण्यनामधेय से कौन अपरिचित होगा 2 'आज वे महाधुरुष भौतिक देहधारी के रूप में हमारे बीच उपस्थित नहीं हैं...परन्तु उनका कीर्ति देह तो आज भी विद्यमान है । काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और गुजरात से लेकर पश्चिम बङ्गाल तक विस्तृत इस भारत भूमि के पवित्रतम इतिहास में कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्यजी को कैसे भूल सकते हैं ? ! गुजरात के प्राचीन इतिहास में से यदि कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचन्द्रा चार्यजी के जीवन-इतिहास को एक और कर दिया जाय...तो गुजरात का इतिहास शुन्य सा प्रतीत होने लगेगा ।Page Navigation
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